उत्तर प्रदेश

किराया निरस्त कर सर्किल रेट से वसूला जाए दुकानदारों से किराया, नजूल की भूमि पर कमिश्नर सख्त

Admin Delhi 1
10 Nov 2022 8:36 AM GMT
किराया निरस्त कर सर्किल रेट से वसूला जाए दुकानदारों से किराया, नजूल की भूमि पर कमिश्नर सख्त
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मेरठ न्यूज़: नजूल की भूमि पर 1100 दुकानों के मामले में कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे. सख्त दिखाई दे रही हैं। उन्होंने इस मामले का संज्ञान लेते हुए डीएम दीपक मीणा को एक पत्र लिखा हैं तथा कहा है कि राज्य सरकार में निहित सम्पत्ति नजूल भूमि पर बनाये गए प्रमुख मार्केट की भूमि को फ्री होल्ट कराये बिना नजूल भूमि पर बनाये गए बाजारों की दुकानों का मामला गंभीर हैं। इनका किसी तरह का मानचित्र स्वीकृत नहीं हैं। फ्री होल्ड कराये बिना दुकानों का अवैध संचालन किया जा रहा हैं, जो नियम विरुद्ध हैं। इन दुकानों का किरायदारी निरस्त करने के लिए कमिश्नर ने डीएम को लिखा हैं तथा वर्तमान सर्किल रेट के अनुसार किराया वसूली का अधिकारी जिला प्रशासन का हैं।

इन दुकानों से किराये के रूप में होने वाली आय को राजकीय कोष में जमा कराने के आदेश दिये हैं। कमिश्नर के कडेÞ पत्र के बाद नगर निगम में हड़कंप मच गया हैं। इस मामले में डीएम ने एडीएम (एफ)को लिखा हैं तथा इस दिशा में त्वरित कार्रवाई करने के आदेश दिये हैं। बता दे कि जिस जमीन पर पूर्ण अधिकार यूपी सरकार और प्रशासन का होना चाहिए। उन दुकानों से किराया वसूली नगर निगम कर रहा है। सरकारी दस्तावेज में भी जिस जमीन पर दुकानें बनी है, उसको लेकर समाजसेवी लोकेश खुराना हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी हैं। दरअसल, नगर निगम इस जमीन का फ्री होल्ड आज तक नहीं करा पाया। नहीं नाम दर्ज करा पाया हैं। नजूल की भूमि पर अवैध अनाधिकृत एवं मानचित्र स्वीकृत किए बिना और पार्किंग सुविधा विहीन इन दुकानों का निर्माण हुआ है। इसको लेकर भी बड़ा सवाल है। सघन बाजार नगर निगम ने एक तरह से बना कर उनसे किराया वसूला जा रहा है। दुकानों का बाजारों की नजूल भूमि केवल नगर निगम के प्रबंधन में दर्ज है। मालिकाना हक नगर निगम का नहीं है, लेकिन इसके बावजूद नगर निगम इन दुकानों से किराया वसूली कर रहा है। जिला प्रशासन के मालिकाना हक पर नगर निगम ने एक तरह से अतिक्रमण कर रखा है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन गहरी नींद में है।

इन दुकानों को नगर निगम फ्री होल्ड तक नहीं करा पाया है। नगर निगम से प्रशासन नजूल की भूमि को मुक्त नहीं करा पा रहा है। एक आकलन के अनुसार जिस जमीन में यह दुकानें बनी हुई है अरबों में है, लेकिन प्रशासन ने इस दिशा में दुकानों को खाली कराने का कोई कार्य नहीं किया। भगत सिंह मार्केट हो या फिर अन्य सभी दुकाने यहां पर बनी हुई है। दुकानों के निर्माण से सड़क भी संकरी हो गई है। अब खुद डीएम इसको देख रहे हैं। क्योंकि कमिश्नर इसको लेकर सख्त हो गई हैं। डीएम ने इस पूरे मामले को एडीएम (एफ)को भेज दिया हैं। क्योंकि इसमें फ्रीहोल्ड जमीन नहीं हैं। नगर निगम के अधिकारी भी मानते है कि ये जमीन नजूल की हैं, फ्रीहोल्ड नहीं हैं। इन दुकानों का किराया तीन सौ रुपये प्रति माह है। 1100 दुकानें शहर में हैं। घंटाघर का पालिका मार्केट, भगत सिंह मार्केट, सरदार पटेल मार्केट आदि स्थानों पर जो दुकाने बनी हैं, वो सभी नजूल की जमीन में बनी हैं।

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