उत्तर प्रदेश

गंगा किनारे बारिश और हवा ने खोली सरकार की पोल, शवों को फिर से ढकने का काम जारी

jantaserishta.com
25 May 2021 8:41 AM GMT
गंगा किनारे बारिश और हवा ने खोली सरकार की पोल, शवों को फिर से ढकने का काम जारी
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कोरोना की दूसरी लहर ने उत्तर प्रदेश के शहर-शहर में हाहाकार मचा दिया है. संगम नगरी प्रयागराज में तो हालात ये हैं कि गंगा किनारे ही रेत पर दर्जनों शवों को दफनाया गया था. लेकिन जब यहां पर दफनाए गए शवों पर से रेत हटी और फिर शव बाहर दिखने लगे, तो प्रशासन की ओर से फिर से इन्हें ढका जा रहा है.

नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा रेत में से बाहर आए शवों को फिर से ढका जा रहा है और इनपर बालू डाली जा रही है. ताकि कुत्ते इन शवों को ना नोचें.
कोरोना के प्रकोप के बीच संगम किनारे दफनाए गए शवों की तस्वीरों ने पूरे देश को झकझोर दिया था. राज्य सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए. लेकिन शवों का हाल तब बुरा हो गया, जब तेज बारिश, हवा के कारण रेत हटने लगी. ऐसे में दफनाए गए शव बाहर आने शुरू हो गए, कुछ तस्वीरें ऐसी भी वायरल हुईं जिनमें कुत्ते शवों को नोच रहे थे.
अब प्रशासन द्वारा यहां शवों पर लगाई गई चुनरी को भी हटाने का काम किया जा रहा है. बता दें कि चुनरी लगे शवों का फोटो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुआ था.
अब इसको रोकने के लिए मेयर की देखरेख में नगर निगम कर्मचारियों की एक निगरानी टीम लगा दी गई है, जो लगातार इन इलाकों में बराबर नज़र बनाए हुए है. टीम लगातार लोगों को शव न दफनाने के लिए समझा भी रही है. जिन लोगों की शव दफनाने की परंपरा रही है, उनको एक अलग जगह निर्धारित की गई है. वही शमशान घाटों पर लकड़ियों की पर्याप्त व्यवस्था भी की गई है जिससे लोगों को कोई परेशानी न हो.
आपको बता दें कि नदी किनारे शवों को दफनाने से पहले बिहार, यूपी के कई इलाकों में नदियों में शव भी दिखे थे. जिसपर काफी बवाल खड़ा हुआ था और दोनों ही राज्य एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ते दिख रहे थे. कोरोना के कहर ने जब से गांवों में अपना पैर पसारना शुरू किया है, तभी से ही इस तरह की भयावह तस्वीरें सामने आने लगी हैं.
बता दें कि हिन्दू रीति रिवाज़ में अधिकतर शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है, सिर्फ कुछ ही मामलों में शवों को इस तरह दफनाने की रीति को अपनाया जाता है. लेकिन कोविड का कहर ऐसा टूटा कि सभी रीति रिवाज किनारे हो गए और दर्जनों की संख्या में प्रयागराज में संगम किनारे शवों को दफनाने का सिलसिला जारी रहा.
आसपास रहने वाले लोगों को कहना है कि उन्होंने कभी ऐसा नज़ारा नहीं देखा, जब लगातार इतनी बड़ी संख्या में शव आ रहे हो और लगातार उन्हें दफनाया जा रहा हो. हालांकि, प्रशासन की ओर से बार-बार इन शवों को कोरोना संक्रमित मरीज़ों का शव बताने से इनकार किया जाता रहा. प्रयागराज के आईजी केपी सिंह ने बयान दिया था कि कोविड मरीज़ों के शवों का श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया जा रहा है, गंगा किनारे चौकसी बढ़ाई गई है ताकि कोई शव प्रवाहित या दफनाए नहीं.
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