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पुलिस की कहानी ने सुसाइड की घटना को दिया नया मोड़, जानिए पूरा मामला
मेरठ क्राइम न्यूज़ अपडेट: मेरठ कालेज में कार्यरत कर्मचारी फेरम सिंह राणा के सुसाइड करने से जहां पूरा परिवार गमगीन है। ,वहीं पुलिस का कहना है कि फेरम सिंह की मौत पुलिस टार्चर से नहीं, बल्कि निजी कारणों से हुई है। इसके पीछे पुलिस का कहना है कि जब फेरम सिंह की मोबाइल डिटेल निकलवाई गई तो उसमें एक ऐसा नंबर भी मिला, जिससे इनकी रेगुलर बातचीत होती थी। जिस मकान के सामने फेरम की गाड़ी मिली थी, वो नंबर उस मकान में रहने वाली एक महिला का था। महिला से पूछताछ के बाद जब लगा कि डकैती के मामले में फेरम का कोई रोल नहीं है तो उसे थाने से जाने दिया गया। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि महिला से पूछताछ की जानकारी संभवत फेरम के घर वालों को हो गई थी।
थाने में फेरम के टार्चर के बाद सुसाइड करने के मामले में पुलिस ने पुलिस ने अपना होमवर्क पूरा कर लिया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि फेरम सिंह के द्वारा सुसाइड करने के पीछे एक कारण सीडीआर से हुआ खुलासा भी हो सकता है। फेरम के मोबाइल डिटेल में बदमाशों से लिंक साबित नहीं हो पाया। इस कारण फेरम को 18 नवंबर की दोपहर को छोड़ दिया गया था। सीडीआर में जब एक महिला का नंबर बार-बार आया तो महिला से पूछताछ की गई। महिला के पति को भी इसकी जानकारी हुई। महिला का भाई लूट के मामले में जेल जा चुका है। महिला ने पुलिस को दिये गए बयान में अपने संबंधों की बात भी स्वीकार की। जब इस बारे में एसएसपी रोहित सिंह सजवाण से पूछा गया तो उनका कहना था कि फेरम सिंह की मोबाइल डिटेल की सीडीआर निकलवाई गई थी। उसमें एक महिला का नंबर आया था। महिला से पूछताछ भी हुई थी। फेरम सिंह को टार्चर नहीं किया गया था। सीडीआर आने के बाद छोड़ दिया गया था। एसएसपी का कहना था कि जब पुलिस ने टार्चर नहीं किया फिर इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई का क्या मतलब है?
इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर हंगामा: फेरम सिंह राणा की मौत की जानकारी मिलते ही काफी लोग एकत्र हो गए और हंगामा करने लगे। परिजनों के साथ भाजपा नेता हेमंत कसाना और पार्षद गुलबीर की सीओ सदर देहात देवेश सिंह से तीखी नोकझोंक हो गई। परिजनों का खुलकर आरोप था कि पुलिस के टार्चर के कारण फेरम ने सुसाइड किया है। इसके लिये जिम्मेदार इंस्पेक्टर गंगानगर दिनेश सिंह के खिलाफ कार्रवाई की जाए। हंगामा बढ़ने और काफी लोग एकत्र होने के कारण गंगानगर थाने के अलावा भावनपुर थाना और इंचौली थाने की पुलिस भी मौके पर बुलवा ली गई। पूर्व इंस्पेक्टर राजपाल सिंह को पल्लवपुरम थाने से बुला लिया गया। परिजनों की मांग थी कि जब तक इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी, तब तक शव नहीं उठने दिया जाएगा। हंगामा बढ़ने पर पूर्व इंस्पेक्टर ने लोगों से बात की और आश्वासन दिया कि निष्पक्ष जांच के बाद ही कार्रवाई होगी। परिजनों ने यह भी कहा कि शव का पोस्टमार्टम वीडियोग्राफी के द्वारा किया जाए। फेरम सिंह को पूछताछ के लिये 17 नवंबर की शाम को लाया गया था। इनकी गाड़ी बदमाशों की गाड़ी के पास खड़ी थी। जब इनकी सीडीआर निकाली गई तो मामला कुछ दूसरा निकला।
इस कारण उनको 18 नवंबर की शाम को छोड़ दिया गया। फेरम सिंह को किसी ने टार्चर तक नहीं किया। -रोहित सिंह सजवाण, एसएसपी मेरठ