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गाजियाबाद: गाजियाबाद में रोजाना लोगों को जाम से जूझना पड़ता है. मुख्य मार्गों से लेकर आंतरिक सड़कों तक यह दिक्कत है. इसके बाद भी लोगों को जाम की समस्या से कोई भी निजात नहीं मिल रही है. इसे दूर करने के लिए करीब तीन साल पूर्व जीडीए ने इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया, लेकिन इसके विवादों में पड़ने के बाद अब नगर निगम इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहा है. आगे भी इससे निजात की उम्मीद कम ही है.
प्रदूषण देश के तीन प्रदूषित शहरों में गाजियाबाद
गाजियाबाद में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है. पिछले पांच साल में कई बार जनपद देश के तीन प्रदूषित शहरों की सूची में रह चुका है. इसके बाद भी जनपद में प्रदूषण को नियंत्रण करने की कोई ठोस योजना नहीं बन सकी है. जबकि जिला प्रशासन के नेतृत्व में कई बार प्रदूषण को कम करने के लिए बैठकें हो चुकी है, लेकिन इन बैठकों में कोई भी ठोस परिणाम नहीं निकल सका है. इसके चलते यहां रहने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था न होने से दिक्कत
शहर से रोजाना 1400 मीट्रिक टन कूड़ा निकल रहा है, लेकिन इसके निस्तारण के लिए नगर निगम के पास डंपिंग ग्राउंड नहीं है. इस कारण कूड़ा निस्तारण में काफी समस्या हो रही है. कूड़ा सड़कों के किनारे पड़ा रहता है, जिससे महामारी तक फैलने का खतरा बना रहता है. नगर निगम की तरफ से कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां तक कॉलोनियों में नियमित नहीं पहुंच रही है. कूड़े की दुर्गंध से स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है. शिकायत पर भी समाधान नहीं हो रहा है.
टूटी सड़कें गड्ढों के साथ कई जगह निकली बजरी
जनपद में पीडब्ल्यूडी की 350 और नगर निगम की 200 से अधिक सड़कें हैं. इसके अलावा जीडीए की भी 51 से अधिक सड़कें हैं. इनमें से ज्यादातर क्षतिग्रस्त हैं. इन सड़कों पर गड्ढे तक हो चुके हैं. कई जगह बजरी निकल चुकी है. इस कारण वाहन दुर्घटनाग्रस्त और लोग घायल हो रहे हैं. इसके बाद भी तीनों विभाग इन सड़कों की मरम्मत नहीं करा रहे हैं. लोगों के अनुसार संबंधित विभाग को शिकायत करने के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा.