उत्तर प्रदेश

नगर निगम पहुंचीं मेयर को नहीं मिले कई अधिकारी, कॉल तक नहीं हुई रिसीव

Admin Delhi 1
4 Nov 2022 7:57 AM GMT
नगर निगम पहुंचीं मेयर को नहीं मिले कई अधिकारी, कॉल तक नहीं हुई रिसीव
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मेरठ न्यूज़: स्टेनो पंकज शर्मा को निलंबन की घटना को लेकर महापौर सुनीता वर्मा और नगर आयुक्त के बीच चल रही कोल्डवार अब गर्माने लगी है। गुरुवार को इस मामले में बातचीत के लिए नगर निगम पहुंचीं मेयर को नगर आयुक्त समेत कई अधिकारी नहीं मिल पाए। सूत्र बताते हैं कि मेयर ने इस बाबत वीडियोग्राफी भी कराई हैं। वहीं उन्होंने नगर आयुक्त पर षड्यंत्र के तहत स्टेनो के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब महापौर पद का अपमान है। उन्होंने पांच नवंबर को पत्रकार वार्ता के दौरान अगले कदम की जानकारी देने की बात कही है। बताया गया है कि चार साल पुराने मामले में नगर आयुक्त डॉ. अमित पाल शर्मा ने महापौर सुनीता वर्मा के स्टेनो (कंप्यूटर आॅपरेटर) पंकज शर्मा को बीती रात निलंबित कर दिया है। नगर आयुक्त के निर्देश पर अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय ने यह कार्रवाई की। पंकज शर्मा पर आउटसोर्सिंग वाहन चालक दीपक जैन और वाहन संख्या यूपी-15-एजी0641 के लिए ईंधन आपूर्तिकर्ता मेसर्स बेस्ट फ्यूल प्रभारत नगर से साठगांठ कर लगभग 420 लीटर की फर्जी रसीद के जरिये धनराशि हड़पने का आरोप है।

इस मामले की जांच सहायक नगर आयुक्त ब्रजपाल सिंह को सौंपी गई है। अपने स्टेनो के खिलाफ कार्रवाई होने से महापौर सुनीता वर्मा गुस्से में आ गई। गुरुवार को इस मामले में नगर आयुक्त से मिलने के लिए पहुंचीं, लेकिन नगर आयुक्त अपने कार्यालय में नहीं थे। इस दौरान वहां पहुंची मीडियकर्मियों के साथ बातचीत में महापौर सुनीता वर्मा बेहद नाराजगी भरे लहजे में दिखीं। उन्होंने कहा कि स्टेनो पंकज के खिलाफ यह कार्रवाई एक षड्यंत्र के तहत करते हुए महापौर पद का अपमान किया गया है। नगर आुयक्त ने यह कार्रवाई करते हुए उन्हें अवगत तक कराने की जरूरत नहीं समझी है। सुनीता वर्मा का कहना है कि आगामी निकाय चुनाव को बिगाड़ने के लिए यह कार्रवाई की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब से वर्तमान नगर आयुक्त आए हैं, शहर में विकास कार्य ठप हो चुके हैं। आरोप लगाया कि टेंडर छोड़ने में अपने स्वार्थ का ध्यान रखा जा रहा है। नगर आयुक्त सप्ताह में दो दिन शहर से बाहर होते हैं, जिसकी जानकारी तक महापौर को नहीं दी जाती।

मेयर सुनीता वर्मा ने यहां तक कहा कि नगर आयुक्त को इस मामले में जवाब कोर्ट में देना होगा। उन्होंने बताया कि पांच नवम्बर को इस मामले में पत्रकार वार्ता की जाएगी, जिसमें सभी पार्षद और वकीलों का पैनल भी शामिल होगा। वहीं नगर निगम के सूत्रों ने बताया कि नगर आयुक्त समेत जो अधिकारी अपने कार्यालय में मौजूद नहीं मिले, उनको लेकर वीडियो भी बनवाई गई है। इसके अलावा नगर आयुक्त और संबंधित अधिकारियों से जुड़ी हर वो जानकारी जुटाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिन्हें लखनऊ स्तर तक पहुंचाने और कोर्ट में प्रमाण के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। इस बीच कार्यसमिति उपाध्यक्ष और सर्वदलीय पार्षद दल के अध्यक्ष रंजन शर्मा, सविता गुर्जर, धर्मवीर, प्रदीप, रविन्द्र, इकराम, अहसान अंसारी आदि मेयर के साथ मौजूद रहे। उन्होंने मेयर को उनकी इस लड़ाई में समर्थन देने का भरोसा दिलाया। पार्षदों ने यह भी आरोप लगाया कि नगर आयुक्त ने निगम बोर्ड को प्रभावहीन कर दिया है। उन्होंने जानकारी दी कि आगामी नौ नवंबर को नगर निगम बोर्ड की बैठक प्रस्तावित है, उससे पूर्व सभी पार्षदों की मेयर के साथ चर्चा बैठक का आयोजन किया जाएगा।

वहीं मेयर और नगर आयुक्त के बीच शुरू हुई इस वार को लेकर नगर निगम के कर्मचारी भी बंटे हुए दिखाई दिए हैं। हालांकि वर्तमान बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने के करीब होता देख अधिकतर कर्मचारियों ने या तो चुप्पी साध ली है, या नगर आयुक्त की कार्रवाई को सरकार की जीरो टारलेंस नीति का कदम बताते हुए समर्थन किया है।नगर निगम पहुंचीं मेयर को नहीं मिले कई अधिकारी, कॉल तक नहीं हुई रिसीव

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