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बरेली: कुम्भ के मद्देनजर रक्षा भूमि पर विभिन्न विकास कार्यों में तकनीकी पेच फंस गया है. चिह्नित रक्षा भूमि विकास कार्यों के लिए हस्तांतरण की अनुमति पहले मिल गई. अब यह तय नहीं हो पा रहा है कि भूमि किस रूप में सामान्य प्रशासन को हस्तांतरित की जाएगी. तकनीकी पेच को सुलझाने के लिए अब रक्षा मंत्रालय की मदद मांगी गई है.
भूमि हस्तांतरण के सिलसिले में कुम्भ मेला अधिकारी विजय किरन आनंद ने को नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय में अधिकारियों से मुलाकात की. रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने कुम्भ मेला अधिकारी का पक्ष सुना. इसके बाद मंत्रालय के अधिकारी ने प्रयागराज में रक्षा संपदा अधिकारी से बात की. अब रक्षा मंत्रालय से भूमि हस्तांतरण पर विशेष दिशा निर्देश जारी होने की संभावना है. भूमि हस्तांतरण में तकनीकी पेच पर रक्षा संपदा कार्यालया या कुम्भ मेला अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. सूत्रों का कहना है कि प्रशासन विभिन्न परियोजनाओं के लिए पट्टे पर रक्षा भूमि की मांग कर रहा है. दूसरी ओर रक्षा संपदा रक्षा भूमि की कीमत के बदले जमीन देने और कई कामों के लिए लाइसेंस देने की बात कह रहा है. इसी विवाद को सुलझाने के सिलसिले में कुम्भ मेला अधिकारी रक्षा मंत्रालय में अधिकारियों से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा. रक्षा संपदा अधिकारी एके मिश्रा का कहना है कि मीटिंग का मिनट्स जारी होने के बाद निर्णय के बारे में पता चलेगा.
सात महीने में निर्माण पूरा करना बड़ी चुनौती: प्रयागराज. महाकुम्भ के मद्देनजर लगभग 40 कार्य रक्षा भूमि कराए जा रहे हैं. और भी काम शुरू करने की योजना है. इसमें रोप वे और हनुमान मंदिर कॉरिडोर बड़ी परियोजनाएं हैं. नों का काम इस साल नवंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. जमीन के अभाव में नों काम शुरू नहीं हो पा रहे हैं. मेला प्रशासन के अधिकारी ने बताया कि कुछ दिन और जमीन नहीं मिली तो नवंबर तक मंदिर कॉरिडोर का निर्माण भी चुनौती बन जाएगी.