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भाजपा के निशाने पर आया नाले में दीवार निर्माण का मामला
मेरठ न्यूज़: नगर निगम में घंटाघर से लेकर किशनपुरी तक नाले की रिटर्निंग वॉल निर्माण की गुणवत्ता पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। बेड निर्माण का प्रस्ताव तो निगम के इंजीनियरों ने तैयार किया, लेकिन मौके पर बनाया नहीं। क्यों नहीं बनाया? यह भी बड़ा सवाल हैं। अब इसका भुगतान नहीं निकाला गया, इसकी भी जांच होनी चाहिए। दीवार बनाई, लेकिन र्इंटों का प्रयोग क्यों किया, जब आरसीसी की दीवार बनाई जानी थी।
यह भी जांच का विषय है कि प्रस्ताव तैयार 18 फीट गहराई से दीवार बनाकर ऊपर तक लाने का, लेकिन बनाई आठ फीट गई? इस सच को निगम के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन कह रहे है कि जितनी दीवार बनी, भुगतान उसकी पैमाइश करने के बाद ठेकेदार को किया हैं। हालांकि यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा कि फाइल क्या बोल रही हैं
तथा मौके पर दीवार उखाड़कर दीवार की लंबाई और गहराई की जांच की जा सकती हैं, लेकिन अब दीवार निर्माण में घालमेल का यह मामला तूल पकड़ गया है। भाजपा विधायक अमित अग्रवाल ने भी इस प्रकरण में झोल होने की बात कहते हुए पूरे प्रकरण की जांच कराने की बात कही हैं, ताकि नगर निगम इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों की भूमिका की जांच किसी अन्य एजेंसी से कराई जा सके। इसको लेकर भाजपा कैंट विधायक अमित अग्रवाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायती पत्र भेजकर जांच कराने की बात कही हैं।
नगर निगम ऐसा विभाग है, जो सीधे जनता से जुड़ा हैं। नाली, सड़क और पेयजल आपूर्ति सीधे जनता की मूलभूत सुविधाएं हैं। इनको उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी नगर निगम की हैं, लेकिन इसमें भी घालमेल हो जाए तो यक्ष प्रश्न उठना लाजिमी हैं। 2020 में घंटाघर से किशनपुरी तक नाला निर्माण के दोनों तरफ रिटर्निंग वॉल तैयार करने का टेंडर 14वें वित्त से किया गया था। टेंडर 2.5 करोड़ का किया गया, लेकिन टेंडर 15 प्रतिशत बिलो हुआ,
जिसके चलते 1.73 करोड़ का हुआ। 390 मीटर रिटर्निंग वॉल आरसीसी की बनाई जानी थी, लेकिन बढ़कर 838.80 मीटर हो गई। ये पूरी आरसीसी की बनाई जानी थी। निगम अफसरों का दावा यही है कि पूरी दीवार आरसीसी की बनाई गयी हैं। 116 मीटर दीवार र्इंटों की बनाई गयी। 'जनवाणी' के पास जिस दौरान ये रिटर्निंग वॉल तैयार की गई, उस दौरान की तस्वीर और वीडियो भी मौजूद हैं। र्इंट की दीवार निर्माण में घालमेल हुआ।
कितना हुआ, इसकी जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इतना अवश्य है कि नाले की दीवार निर्माण का मामला उठा तो पहले भी, लेकिन इसकी जांच पड़ताल निगम ही करता रहा। अन्य एजेंसी से इसकी जांच नहीं हुई। तैयार प्रस्ताव पर एई राजपाल यादव के हस्ताक्षर हैं, जबकि भुगतान पर अन्य इंजीनियरों के। एक्सईएन विकास कुरील ने तो यह कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है कि ये नाला निर्माण उनके कार्यकाल में हुआ ही नहीं, जिन इंजीनियरों के हस्ताक्षर बिलों पर हैं, उनकी ही जवाबदेही बनती हैं।
रिटर्निंग वॉल के निर्माण में घालमेल के मामले को लेकर भाजपा की भी भौंहें तन गई हैं। भाजपा कैंट विधायक अमित अग्रवाल ने 'जनवाणी' को बताया कि निगम के नाला निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ हैं। इस प्रकरण की किसी अन्य एजेंसी से जांच होनी चाहिए तथा इसकी मांग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की जाएगी। उनका कहना है कि नाले में ग्राउंड स्तर से कितने फीट से रिटर्निंग दीवार को उठाया गया।
उसके नीचे बेस कैसे बनाया गया? कहा जा रहा है कि पुरानी दीवार से ही नीचे से ऊपर बेस खड़ा कर दिया हैं। इसकी भी जांच होनी चाहिए। बेड निर्माण का प्रस्ताव मूल दस्तावेज में दिया गया, फिर उस पर काम क्यों नहीं हुआ? कागजों में भुगतान करना तो नहीं दर्शाया गया, इसकी जांच एसटीएफ या फिर ईओडब्ल्यू से कराई जाए। भ्रष्टाचार हुआ होगा तो सामने आ जाएगा,
जिसमें अधिकारियों के खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई होगी। पुलिया निर्माण का भी प्रस्ताव था, वो बनी या फिर नहीं? इसकी भी जांच होनी चाहिए। मूल पत्रावली की जांच नगरायुक्त अमित पाल शर्मा को करनी चाहिए। क्योंकि मूल पत्रावली में घालमेल के रहस्य उजागर हो सकते हैं।