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भू-माफिया ने की प्रशासन के सिजरे में छेड़छाड़, बदल दिया गया मूलरूप
मेरठ: भू-माफिया के खिलाफ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टोलरेंस पर काम कर रहे हैं, लेकिन तहसील स्तर पर किस तरह से घालमेल किया जा रहा हैं, उसका एक प्रमाण है रोहटा रोड। कब्रिस्तान की जमीन सिजरे में दर्ज हैं। इसी जमीन से शोभापुर रोड को कनेक्ट करने वाला रास्ता सिजरे में अंकित हैं, उसमें भी भू-माफिया ने छेड़छाड़ कर दी हैं। कब्रिस्तान की जमीन को भी दबा लिया गया तथा इसके बाद भी तहसील और जिला प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं।
आखिर ऐसा क्या है कि प्रशासन ने भू-माफिया के सामने सिजरे का मूल रूप ही बदल दिया। इसमें कार्रवाई करने से प्रशासन क्यों बच रहा हैं? पहले तो कब्रिस्तान के बराबर में पुराने गोदाम को तोड़कर फिर से दीवार लगा दी, इसमें भी मेरठ विकास प्राधिकरण ने कोई कार्रवाई नहीं की। दीवार पर व्हाइट वास कराकर प्राधिकरण के अधिकारियों को गुमराह कर दिया।
इससे सटकर है कब्रिस्तान की जमीन। लंबे समय से ये जमीन ऐसे ही खाली पड़ी हुई थी। रोहटा रोड पर सर्वाधिक कीमती जमीन हैं। इस जमीन पर माफिया की निगाहें लगी हुई थी। इसमें एक रास्ता शोभापुर के मार्ग को आपस में कनेक्ट करता था। ये रास्ता कब्रिस्तान के बीच से होकर जाता था, लेकिन सिजरे से भू-माफिया ने छेड़छाड़ करते हुए जो गोदाम की जगह में दीवार खड़ी की गई हैं, उस जगह से सटाकर रास्ता निकाल दिया हैं।
इस तरह से तहसील के दस्तावेजों में भी भू-माफिया ने छेड़छाड़ कर दी, जो सबसे बड़ा अपराध हैं। इतना बड़ा काम यहां हो गया, लेकिन इसके बाद भी प्रशासन ने इसका कोई संज्ञान क्यों नहीं लिया, ये महत्वपूर्ण तथ्य हैं। इस मामले में भू-माफिया की कार्रवाई तहसील के सिजरे में छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ होनी चाहिए, मगर जिन लोगों ने ये कृत्य किया है, इनके द्वारा आचार संहिता का लाभ उठाया गया।
आचार संहिता के दौरान प्रशासन तो व्यस्त हो गया था, इसी बीच लोगों ने कब्रिस्तान की जमीन में मिट्टी का भराव कर कुर्सी डालकर ये लोग बैठ गए। जो लोग इस भूमि पर कुर्सी डालकर बैठे हैं, उनकी तस्वीर भी कैमरे में कैद हो गई। ये पूरी जमीन विवादित थी, फिर प्रशासन ने इस पर निर्माण करने की अनुमति दी या फिर ये कार्य जबरिया किया जा रहा हैं। ये बड़ा सवाल हैं।
वर्तमान में डीएम दीपक मीणा ही मेरठ विकास प्राधिकरण के भी उपाध्यक्ष हैं, उन पर ही इसका चार्ज हैं। फिर भी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही हैं। मेडा इंजीनियरों ने भी इसमें कार्रवाई नहीं की। निर्माण चालू कैसे कर दिया। पुलिया बनाकर आवागमन चालू कर दिया गया। बराबर में पहले ही आठ फुट ऊंची दीवार खड़ी कर दी गई। पांच फीट से ऊंची दीवार को खड़ा नहीं किया जा सकता। इसके लिए मेडा से अनुमति ली जाती हैं। इसके लिए बाकायदा मानचित्र स्वीकृत कराना पड़ता हैं।