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उत्तर प्रदेश
अपनी जमीन बचाने लेट गए जज, अखिलेश यादव बोले- जनता को जस्टिस चाहिए जेसीबी नहीं
jantaserishta.com
25 March 2022 10:06 AM GMT
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जानें पूरा मामला।
बस्ती: उत्तर प्रदेश के बस्ती में अपनी जमीन के लिए अपर जिला जज (एडीजे) को जेसीबी के सामने लेटा पड़ा. इसका वीडियो वायरल हो रहा है. समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तस्वीर शेयर करते हुए कहा कि जब न्यायालय से जुड़े व्यक्तियों के साथ ऐसा हो रहा है तो आम जनता के साथ क्या होगा. जनता को जस्टिस चाहिए जेसीबी नहीं!
दरअसल, बस्ती जिले के हरैया थाना क्षेत्र के छपिया शुक्ल गांव में नहर खुदाई के दौरान जेसीबी के सामने न्यायिक अधिकारी मनोज शुक्ला का हाई बोल्टेज ड्रामा सामने आया. न्यायिक अधिकार नहर खुदाई कर रही जेसीबी के आगे लेट गए. घंटों तक ड्रामा चलता रहा. न्यायिक अधिकारी वर्तमान में जिला सुल्तानपुर में एडीजे फर्स्ट के पद पर तैनात हैं.
न्यायिक अधिकारी मनोज शुक्ला पूरी रात जिला प्रशासन की टीम के सामने बिना खाये-पिये पड़े रहे. जिला प्रशासन की मिन्नत के बाद भी न्यायिक अधिकारी नहीं पसीजे और अपने जिद पर अड़े रहे. इस नहर के हुए निर्माण को एडीजे के भतीजे द्वारा गिराया गया था और जिले के जिलेदार द्वारा तहरीर पर एक एफआईआर भी दर्ज की गई थी.
एडीजे मनोज शुक्ला ने बताया, 'मैं एक न्यायिक अधिकारी हूं, ये मेरी पुश्तैनी जमीन है जहां पर सब लोगों द्वारा हमारी जमीन पर कब्जा किया जा रहा है, ये काम गलत है, 2013 में जमीन का अधिग्रहण नियमों के विपरित हुआ है, डीएम ने जो आदेश दिया है वो भ्रष्टाचार से युक्त आदेश है.
इस मामले में सिंचाई विभाग के जिलेदार विवेकानंद ने कहा कि ये नहर 28.52 किमी की है, नहर की खुदाई पूरी हो चुकी है, बस यही पैच बचा है, बाकी सभी लोगों को मुआवजा दे दिया गया है, इनको भी नोटिस भेजी गई थी, इन्होंने नोटिस पर आपत्ति लगाई है, डीएम और एसडीएम के आदेश पर नहर की खुदाई की जा रही है.
एडीजे मनोज शुक्ला की तस्वीर सामने आने के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, 'यूपी में हो रहे अन्याय के ख़िलाफ़ अपर ज़िला जज श्री मनोज कुमार शुक्ला के मामले का तुरंत न्यायिक संज्ञान लिया जाए, जब न्यायालय से जुड़े व्यक्तियों के साथ ऐसा हो रहा है तो आम जनता के साथ क्या होगा, ये बदहाल क़ानून-व्यवस्था का निकृष्टतम उदाहरण है.
उप्र में हो रहे अन्याय के ख़िलाफ़ अपर ज़िला जज श्री मनोज कुमार शुक्ला के मामले का तुरंत न्यायिक संज्ञान लिया जाए। जब न्यायालय से जुड़े व्यक्तियों के साथ ऐसा हो रहा है तो आम जनता के साथ क्या होगा। ये बदहाल क़ानून-व्यवस्था का निकृष्टतम उदाहरण है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 25, 2022
जनता को जस्टिस चाहिए जेसीबी नहीं! pic.twitter.com/ZcXZMg7sKU
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