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हाईकोर्ट ने तौकीर को असामाजिक और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल न होने की सख्त हिदायत दी थी
बरेली: दंगे के आरोपी मौलाना तौकीर रजा खां को हाईकोर्ट ने असामाजिक और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल न होने की सख्त हिदायत दी थी. इसके बाद मौलाना को बरेली कोर्ट में पेश होकर दो जमानती और निजी मुचलका भी देना पड़ा था. बता दें कि बरेली दंगे में नाटकीय ढंग से रिहाई के बाद व्यंजन रेस्टोरेंट के मालिक महेंद्र गुप्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति विनोद प्रसाद ने 28 जुलाई 2010 को आदेश देकर मौलाना तौकीर रजा खां को शांति व्यवस्था बनाने के साथ समाजिक और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने न होने की सख्त हिदायत दी थी. इसके बाद मौलाना ने बरेली कोर्ट में पेश होकर दो-दो लाख के दो जमानती और दो लाख का खुद का निजी मुचलका भी दिया था. इसके बाबजूद भी मौलाना आए दिन भड़काऊ भाषण और धारा 144 लागू होने के बाद भी शक्ति प्रदर्शन करते रहते हैं.
अच्छे होते हैं धार्मिक व्यक्ति के सत्ता सीट पर बैठने से परिणाम कोर्ट ने बरेली दंगे के बतौर मुख्य आरोपी मौलाना तौकीर रजा खां को तलब करने के अपने आदेश में लिखा है कि यदि कोई धार्मिक व्यक्ति सत्ता की सीट पर बैठता है तो उसके परिणाम बहुत अच्छे होते हैं. दार्शनिक प्लेटो ने भी अपने ग्रन्थ रिपब्लिक में इसे प्रतिपादित किया है कि हमारे कष्टों का अंत तब तक नहीं होगा, जब तक दार्शनिक राजा न हो. कोर्ट ने लिखा कि महान सिद्धपीठ गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर महंत बाबा योगी आदित्यनाथ वर्तमान में उप्र के मुख्यमंत्री ने भी इस अवधारणा को सत्य साबित किया है. कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि यदि धार्मिक व्यक्ति के द्वारा अपने समुदाय के लोगों को भड़काकर विपरीत कार्य किए जाते हैं तो कानून व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाती है, जिसका उदाहरण मौलाना तौकीर रजा खां हैं.
‘बरेली की फिजा में जहर घोलने वालों को कठोर सजा हो’
कोर्ट ने 2010 के बरेली के दंगे को लेकर स्वत संज्ञान लेते हुए मौलान तौकीर को नोटिस भेजा है. भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने स्वत संज्ञान लेने पर कोर्ट की सराहना की है. साथ ही दंगों के गुनहगारों को कठोर सजा की मांग दोहराई है. राजेश अग्रवाल ने कहा कि बरेली की गंगा-जमुनी संस्कृति को कुछ लोगों को खराब करने की कोशिश की. 2010 में भीड़ को जुटाकर दंगा कराया गया. दुकानें जलाईं गईं. 27 दिन तक कर्फ्यू रहा. प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका अच्छी नहीं रही. यहीं 2012 में भी किया गया. मौलाना तौकीर की भूमिका को लेकर सवाल उठते रहे हैं.