उत्तर प्रदेश

यूनानी निदेशक ने खुद के ही स्थानांतरण के उड़ाई नियमों की धज्जियां

Shreya
16 July 2023 6:03 AM GMT
यूनानी निदेशक ने खुद के ही स्थानांतरण के उड़ाई नियमों की धज्जियां
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लखनऊ। हमेशा अपनी विवादित कार्यशैली को लेकर चर्चाओं में रहने वाला आयूष विभाग एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला आयूष के यूनानी निदेशालय से जुड़ा हुआ है। यहां निदेशक ने अपने प्रयागराज से लखनऊ स्थानांतरण में नियमों की धज्जियां उड़ा कर रख दी हैं। इस मामले में विभाग से और जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई लेकिन कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है।

क्या है मामला

दरअसल आयूष विभाग के अंतर्गत राजधानी में यूनानी विभाग में पूर्णकालिक निदेशक कार्यरत नहीं है। यहां कार्यवाहक निदेशक के तौर पर प्रो अब्दुल वहीद नियुक्त हैं। साथ ही प्रो वहीद प्रयागराज स्थित राजकीय यूनानी मेडिकल कॉलेज के कुल्लियात विभाग में बतौर प्रोफेसर तैनात थे। प्रदेश सरकार द्वारा जारी स्थानांतरण नीति के बाद निदेशक अब्दुल वहीद का ट्रांसफर राजकीय यूनानी मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज के कुल्लियात विभाग से स्टेट तकमील उत्तिब कॉलेज, लखनऊ के कुल्लियात विभाग में किया गया।

नियम विरुद्ध रिलीव कराया

सूत्रों के मुताबिक 30 जून को राजकीय यूनानी मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज के प्रधानाचार्य किसी अति महत्वपूर्ण कार्य हेतू आयूष विश्वविद्यालय, गोरखपुर गए थे। इस दौरान प्रधानाचार्य का चार्ज सीनियर प्रोफेसर आसिफ उसमानी के पास था। आरोप है कि निदेशक अब्दुल वहीद ने प्रोफेसर उसमानी पर दबाव बनाकर उसी दिन अपने को रिलीव करा लिया। जबकि नियमों के मुताबिक प्रधानाचार्य का चार्ज लिए व्यक्ति को नीतिगत या ट्रांसफर जैसे महत्वपूर्ण मामले में हस्तक्षेप का अधिकार ही नहीं है। ऐसे में निदेशक प्रो वहीद को आखिर किस बात की जल्दी थी कि उन्होंने नियमों को दरकिनार कर दिया जबकि वो विभाग के मुखिया के पद पर विराजमान हैं।

लखनऊ में भी नियम विरूद्ध ज्वाइन किया

निदेशक प्रो वहीद यहीं नही रूके बल्कि 2 जुलाई को वो स्टेट तकमील उत्तिब कॉलेज, लखनऊ पहुंचे। यहां पर भी प्रधानाचार्य प्रो जमाल अख्तर छूट्टी पर थे। ऐसे में उनके छुट्टी से वापस आने तक का निदेशक ने इंतज़ार नहीं किया। उन्होंने यहां प्रधानाचार्य का चार्ज संभाले प्रोफेसर पर नियम विरुद्ध दबाव बनाकर स्टेट तकमील उत्तिब कॉलेज, लखनऊ के कुल्लियात विभाग में ज्वाइन कर लिया।

नियम विरूद्ध रिलीव किया

यूनानी निदेशक प्रो अब्दुल वहीद स्टेट तकमील उत्तिब कॉलेज, लखनऊ के कुल्लियात विभाग में ज्वाइन करते ही नियमों के परे जाकर प्रधानाचार्य का चार्ज भी ले लिया। चार्ज लेते ही उन्होंने यहां से स्थानांतरित सभी व्यक्तियों को रिलीव कर दिया। जबकि शासन द्वारा उन्हें 7 जुलाई को प्रधानाचार्य का चार्ज देने का आदेश जारी किया गया।

क्या है नियम

विभाग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक प्रधानाचार्य के पास तीन तरह के अधिकार शासन द्वारा दिए जाते हैं। इनमें पहला प्रशासनिक अधिकार, दूसरा डीडीओ यानी वित्तीय आहरण-वितरण अधिकार और तीसरा एकेडमिक अधिकार होते हैं। प्रधानाचार्य़ के दौरे पर या छुट्टी पर होने की दशा में किसी वरिष्ठ प्रोफेसर को चार्ज दिया जाता है। चार्ज पाने वाले प्रोफेसर को नीतिगत या स्थानांनतरण संबंधी कार्य का अधिकार नही होता है। वहीं यूनानी निदेशक ने लखनऊ में 2 जुलाई को ज्वाइन करते ही उसी दिन स्थानांतरित तीन प्रोफेसर्स को नियम विरुद्ध जाकर रिलीव कर दिया। जबकि शासन ने उन्हें 7 जुलाई को प्रधानाचार्य पद पर नियुक्त किया। ऐसे में निदेशक प्रो वहीद ने आखिर नियमों की धज्जियां क्यों उड़ाई, जबकि वो खुद निदेशक पद पर तैनात हैं।

कार्यवाहक बनाम आयोग द्वारा नियुक्त

नियमों के मुताबिक अगर लोक सेवा आयोग द्वारा प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति की गई हो तो स्थानांतरण के समय वो प्रधानाचार्य के पद पर ही स्थानांतरित होता है। मौजूदा समय में दोनों राजकीय कॉलेजों में आयोग द्वारा नियुक्त प्रधानाचार्य नहीं हैं। दोनों जगह प्रोफेसर को कार्यवाहक प्रधानाचार्य का चार्ज शासन ने दिया हुआ है। ऐसे में नियम ये कहता है कि स्थानांतरण के समय पहले विभाग में प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति होगी उसके बाद शासन द्वारा प्रधानाचार्य के पद का चार्ज लेने का आदेश जारी किया जाएगा।

एक व्यक्ति एक पद की जगह दो पद

वर्ष 2017-2018 में आयुष विभाग में तैनात तत्कालीन प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने विभाग में एक व्यक्ति एक पद का आदेश लागू किया था। मौजूदा यूनानी निदेशक प्रो वहीद एक बार फिर जुगत लगाकर निदेशक के साथ स्टेट तकमील उत्तिब कॉलेज, लकनऊ के प्रधानचार्य के पद पर भी आसीन हो गए। बड़ा सवाल ये है कि आखिर एक ही व्यक्ति दो महत्वपूर्ण पद पर कैसे कार्य करेगा। जबकि आयूष विभाग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता में शामिल है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आयूष विभाग में विशेष रुचि रखते हैं। इसके लिए उन्होंने अलग से न सिर्फ आयूष विश्वविद्यालय की गोरखपुर में स्थापना की है बल्कि बजट को भी कई गुना बढ़ा दिया है।

चिकित्सकों के स्थानांतरण में बड़ी अनियमितता

यूनानी निदेशक द्वारा शासन को स्थानान्तरण हेतु नियमानुसार जानकारी न देने के कारण चिकित्साधिकारियों के स्थानान्तरण में भी बड़ी अनियमितता हुई है। जिस से लोगों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। आरोप है कि मैटरनिटी लीव पर चल रही एक महिला चिकित्सक का भी स्थानांतरण कर दिया गया है।

यूनानी संगठनों में रोष

यूनानी निदेशक की ढीली कार्यशैली को लेकर कई बार यूनानी संगठन मुखर हो चुके हैं। संगठनों ने निदेशक के खिलाफ आवाज़ उठाने के साथ आयूष मंत्री से शिकायत कर चुके हैं। ऐसे में प्रो अब्दुल वहीद को निदेशक के साथ प्रधानचार्य पद भी तैनात किए जाने पर काफी रोष हैं।

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