उत्तर प्रदेश

शासन ने बकाया गन्ना भुगतान को दिखाई सख्ती

Admin Delhi 1
30 Dec 2022 11:22 AM GMT
शासन ने बकाया गन्ना भुगतान को दिखाई सख्ती
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मेरठ: पेराई सत्र 2021-22 के अवशेष गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर गन्ना मंत्री ने सख्त रुख अपनाते हुए 15 जनवरी तक की डेडलाइन दी है। समीक्षा बैठक में शामिल हुए मिल प्रतिनिधियों को चेतावनी दी गई कि इसके बाद सुसंसगत धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। उप गन्ना आयुक्त ने लखनऊ से मिले दिशा निर्देश के हवाले से बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने त्वरित गन्ना मूल्य भुगतान के निर्देश दिए। इसी क्रम में गन्ना विकास विभाग ने भुगतान के मुद्दे पर सख्त रुख अपना लिया है। प्रदेश की जिन चीनी मिलों का गत पेराई सत्र का गन्ना मूल्य भुगतान अवशेष हैं उन सभी चीनी मिलों को 15 जनवरी, 2023 तक गन्ना मूल्य भुगतान करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश के गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने गुरुवार को बजाज समूह, मोदी समूह, सिम्भावली समूह, राणा समूह की ऊन चीनी मिल एवं शामली चीनी मिल के ग्रुप हेड, महाप्रबन्धक/यूनिट हेड्स एवं मुख्य वित्त अधिकारी के साथ चीनी मिलवार गन्ना मूल्य भुगतान की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि सरकार समय से गन्ना मूल्य भुगतान कराने के लिए दृढ़ संकल्पित है।

ऐसी स्थिति में चीनी मिलों को भी किसानों को प्राथमिकता के आधार पर गन्ना मूल्य भुगतान करना होगा। उन्होंने कहा कि चीनी मिलें टैगिंग आदेश का अक्षरश: अनुपालन करें। यदि किसी भी चीनी मिल ने चीनी के विक्रय से प्राप्त होने वाली धनराशि का व्यावर्तन किया, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि पेराई सत्र 2021-22 के कुल देय का लगभग 95 प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान अब तक किया जा चुका है। जो चीनी मिलें अवशेष गन्ना मूल्य का त्वरित भुगतान नहीं करेंगी, उनके विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराते हुए बकाया गन्ना मूल्य भुगतान के लिए वसूली प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने की कार्रवाई भी अमल में लायी जाएगी।

उप गन्ना आयुक्त ने बताया कि इसके अलावा चीनी मिलों एवं विभागीय अधिकारियों को पेराई सत्र के दौरान घटतौली पर प्रभावी अंकुश लगाने तथा गन्ने की कालाबाजारी करने वाले अराजक तत्वों पर सख्त कार्रवाई करने के लिए भी निर्देशित किया गया है। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग संजय आर भूसरेड्डी ने चीनी मिलों और गन्ना किसानों को एक-दूसरे के पूरक बताते हुए कहा कि गन्ना किसान एवं उनका परिवार अपने आर्थिक जरूरतों के लिए चीनी मिलों पर आश्रित हैं। इसलिए चीनी मिलों को सदैव गन्ना मूल्य भुगतान एवं अन्य व्यवस्थाओं के सुधार के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।

आज से फिर चालू हो सकेगी मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल: टरबाइन में आग लगने से बंद पड़ी मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल में बिजली के कनेक्शन के जरिये शुक्रवार से पेराई शुरू की जा सकेगी। इसके लिए ट्रायल किया गया है, जो सफल रहा है। अब पेराई करके यह देखा जाएगा कि मिल कितनी क्षमता के साथ काम कर पाएगी। स्मरण रहे कि बीती 26 नवंबर को मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल के टरबाइन में आग लग जाने के कारण चीफ इंजीनियर की मौत हो गई थी। उस दिन के बाद से मिल बंद पड़ी है।

मिल से जुड़े किसानों का गन्ना दूसरे मिलों के जरिये उठवाने की गन्ना विभाग के अधिकारियों ने व्यवस्था जरूर की है, लेकिन यह प्रयोग संतोषजनक स्थिति तक नहीं पहुंच सका है। इस बीच कई बार किसान धरना-प्रदर्शन करके संबंधित क्षेत्र के गन्ने को उठाने की मांग सुचारू करने की मांग कर चुके हैं। डीएम दीपक मीणा के स्तर से किए गए हस्तक्षेप के बाद टरबाइन की मरम्मत होने तक बाहर से बिजली का कनेक्शन लेकर मिल को चलाने का विकल्प तैयार किया गया है। इस संबंध में मिल के गन्ना प्रबंधक शीशपाल सिंह ने बताया कि छह मेगावाट का कनेक्शन लेकर मिल को चालू करके देखा गया है।

शुक्रवार से विधिवत रूप से पेराई सत्र को फिर से चालू किया जाएगा। जिसके बाद यह स्पष्ट हो सकेगा कि मिल प्रतिदिन कितने कुंतल गन्ने की पेराई कर सकेगी। शीशपाल सिंह ने बताया कि गन्ने की पेराई की क्षमता के आधार पर अन्य मिलों को आवंटित किए गए गन्ने को लेकर नए सिरे से कार्ययोजना तैयार की जा सकेगी। वहीं, गन्ना विकास समिति के चेयरमैन शशांक चौधरी का कहना है कि मोहिउद्दीनपुर मिल क्षेत्र से जुड़े किसान उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। मिल अधिकारियों ने एक महीने से अधिक समय गुजर जाने के बावजूद आज तक टरबाइन को ठीक कराने का कोई प्रयास नहीं किया है।

उनका कहना है कि पांच माह के पेराई सत्र में मिल को 65 लाख कुंतल गन्ने की पेराई करनी थी। इसके विपरीत दो माह बीतने के बाद अभी तक आठ लाख कुंतल गन्ना ही मिलों तक जा सका है। शेष बचे तीन माह में 57 लाख कुंतल गन्ना किस प्रकार उठाकर पेराई की जा सकेगी, इसके बारे में अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है।

आने वाले समय में मोहिउद्दीनपुर मिल क्षेत्र से जुड़े गन्ना किसानों के समक्ष गेहूं की बुवाई से लेकर चारे तक का संकट पैदा होने की आशंका बनी हुई है। विकल्प के तौर पर इस क्षेत्र का सबसे अधिक गन्ना किनौनी मिल को भेजा जा रहा है, जहां से अभी तक पिछले सत्र का भुगतान भी नहीं हो सका है। उन्होंने गन्ना विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों से इस क्षेत्र के गन्ना किसानों की समस्या को गंभीरता से लेकर समाधान निकालने की मांग की है।

गन्ना मूल्य घोषित नहीं करने पर सपाइयों ने किया प्रदर्शन: सपा ने गन्ना मूल्य घोषित करने की मांग को लेकर गुरुवार को कमिश्नरी पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी सपा नेताओं का कहना था कि ऐसा पहली बार हो रहा है, जब गन्ना सत्र चालू हुए दो माह बीत गए, लेकिन गन्ना मूल्य घोषित सरकार ने नहीं किया। ये गलत हैं। ये किसानों के साथ धोखा हैं। गन्ना तो खरीदा जा रहा हैं, लेकिन किसानों को ये नहीं बताया जा रहा है कि उनका गन्ना मूल्य किस रेत में खरीदा जा रहा हैं।

यही नहीं, प्रदर्शनकारियों ने कहा कि चौदह दिन में गन्ना भुगतान का वादा यूपी सरकार ने किया था, जो नहीं किया जा रहा हैं। पिछला गन्ने का भुगतान जैसे किनौनी मिल नहीं कर सकी हैं। कई और भी चीनी मिल हैं, जिन पर बकाया चल रहा हैं। मोहिद्दीनपुर मिल पर भी किसानों का बकाया चल रहा हैं। गन्ने का भुगतान करने की भी सपाइयों ने मांग की। आवारा पशुओं पर किसी तरह का अंकुश सरकार नहीं लगा पा रही हैं,

जिसके चलते आवारा पशुओं से किसानों की फसल बर्बाद हो रही हैं। कोई भी इसमें सुनने वाला नहीं हैं। किसान पशुओं को रोकने के लिए खुद पहरेदारी कर रहे हैं। एक तरह से किसानों को पशुओं ने बर्बाद कर दिया हैं। कमिश्नरी आॅफिस पर पहुंचे सपाइयों की अगुवाई जिलाध्यक्ष राजपाल चौधरी और महानगर अध्यक्ष आदिल चौधरी कर रहे थे।

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