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6 आंगनबाड़ी केंद्रों और को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों में नौनिहालों में शिक्षा की नींव मजबूत होगी
गाजियाबाद: जिले के 6 आंगनबाड़ी केंद्रों और को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों में लर्निंग कॉर्नर तैयार किए जा रहे हैं. इनके जरिए छोट-छोटे बच्चे मनोरंजक तरीके से खेल-खेल में सीखेंगे, ताकि वह लंबे समय तक याद रहे. इससे नौनिहालों की शिक्षा की नींव को मजबूत होगी. शासन से बजट जारी होने के बाद पांच केंद्रों पर काम शुरू हो गया है.
नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा को प्रभावी बनाने की दिशा में यह लर्निंग कॉर्नर विकसित किए जा रहे हैं. यह एक ऐसा कोना होगा जो रंग-बिरंगे चार्ट, पर्दों और मनोरंजक शैक्षिक सामग्री से सुसज्जित होगा. यहां बच्चों को नंबर गेम, चित्रों के माध्यम से शब्द, फल और जानवरों आदि की जानकारी दी जाएगी. इसमें रीडिंग कॉर्नर, आर्ट कॉर्नर, ब्लॉक कॉर्नर और परफार्मेंस कॉर्नर कुल चार लर्निंग कॉर्नर बनाए जाएंगे. को-लोकेटेड केंद्रों में लर्निंग कॉर्नर बनाने के लिए पांच सदस्य समिति बनाई जाएगी, जिसमें विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष होंगे. प्रधानाचार्य, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, संबंधित क्षेत्र की सुपरवाइजर सदस्य और नोडल अध्यापक को शामिल किया जाएगा.
2. आर्ट कार्नर: हस्त निर्मित पेपर, ग्लेज पेपर, स्पॉन्ज, फल-सब्जी, पशुओं के मॉड्यूल होंगे. आइसक्रीम स्टीक, टूथब्रश आदि.
3. परफॉर्मेंस कॉर्नर: काल्पनिक खेल आदि के लिए कपड़े के अलग-अलग पोशाक, डफली, हैट, मास्क एवं स्कार्फस, किचन सेट, डॉक्टर्स सेट, डॉल, फूड सेट आदि.
4. ब्लॉक कॉर्नर: पिक्चर पजल्स, रंगीन लकड़ियों के ब्लॉक्स, नंबर एवं हिन्दी वर्णमाला के अल्फाबेट्स ब्लॉक तथा क्लिपबोर्ड आदि का एक कॉर्नर होगा.
1. रीडिंग कॉर्नर: वर्णमाला के ब्लॉक, आरामदायक चेयर, पिक्चर एवं स्टोरी बुक्स, हस्त निर्मित उच्चारण बुकमार्क, स्लेट तथा पोस्टर एवं चार्ट आधारित रीडिंग सामग्री.
जिले में कुल 256 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इसमें से 6 आंगनबाड़ी केंद्र और को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों को लर्निंग कॉर्नर बनाने के लिए चिन्हित किया गया है. को-लोकेटेड वह केंद्र होते हैं जो प्राथमिक स्कूलों के परिसर में संचालित हो रहे हैं. जिला कार्यक्रम अधिकारी शशि वार्ष्णेय ने बताया कि हर केंद्र पर लर्निंग कॉर्नर बनाने के कुल 8,110 रुपये का बजट दिया गया है. 6 केंद्रों पर कुल लाख 89 हजार 560 रुपये खर्च होंगे. पांच केंद्रों पर काम शुरू हो गया है, बाकि में जल्द शुरू हो जाएगा. इससे शिक्षण सामग्री खरीदी जाएगी. बच्चों की रुचि बरकरार रखने के लिए सामग्री को बदला भी जाएगा.