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कुशीनगर । उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कुशीनगर में किसानों को किसी मौसम में भी राहत नहीं मिल रही है।किसान पहले सूखे की मार झेल रहा तो बारिश एक राहत लेकर आयी लेकिन अब यही बारिश फसल के लिए तबाही साबित हाे रही है। शुरू में चिलचिलाती धूप से धान की फसल बरबाद हो गई तो अब बारिश के पानी से बची हुई धान की फसल डूब रही है। कुछ स्थानों पर फसलें डूब रही हैं तो कुछ जगहों पर डूबने के कगार पर पहुंच गई हैं। मौसम विभाग आगामी 21 सितंबर तक बारिश (rain) होने की संभावना जता रहा है ऐसे में किसान इंद्रदेव से बारिश बंद करने का मनुहार कर रहे हैं। कुशीनगर में 1.24 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई है। जून महीने में अंतिम सप्ताह में मानसून के सक्रिय होने और उसके बाद ड्राई स्पेल में जाने के कारण किसानों की धान की फसल चिलचिलाती धूप में सूख गई। किसान पम्पिंगसेट (farmer pumping set) से लगातार पानी चलाकर थक जाने के बाद फसल भगवान के भरोसे छोड़ दिये। लोगों ने इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए धूल व मिट्टी एक दूसरे पर फेंकने के साथ भजनकीर्तन का सहारा लिया। धूप के कारण जिले में 50 फीसदी फसलें प्रभावित हो गई हैं। सितंबर महीने के दूसरे सप्ताह में मानसून के लौटने के वक्त लगातार बारिश से चहुंओर पानी ही पानी हो गया है। जनपद में लगातार बारिश हो रही है। इससे बची धान की फसल डूबने लगी है। कसया के सिधावें व टेकुआटार सरेह में पानी से फसल डूब गई है तो कनखोरिया व बैरिया के गांव के समीप ताल में धान की फसल डूब गई है। सिधरियां ताल, रामकोला का सोमल तालए बरवां ताल आदि स्थानों पर धान की डूबने के कगार पर पहुंच गई हैं। लगातार बारिश पर विराम लगाने के लिए किसान अब इंद्रदेव से बारिश बंद करने का मनुहार कर रहे हैं। किसानों को अब बची हुई धान की फसल को बचाने की चिंता सताने लगी है।
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