उत्तर प्रदेश

10 साल में बदल गया थाने का पूरा स्टाफ, लापरवाही पर पुलिस ने कही ये बात

Shantanu Roy
8 Nov 2022 8:59 AM GMT
10 साल में बदल गया थाने का पूरा स्टाफ, लापरवाही पर पुलिस ने कही ये बात
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नई दिल्ली। नई दिल्ली के छावला थाने में 10 साल पहले 9 फरवरी 2012 को एक पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. छावला थाना पुलिस ने इस मामले में अपहरण की एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी. रिकॉर्ड के मुताबिक 2 दिन बाद इस मामले की जांच स्पेशल स्टाफ को सौंप दी गई थी. 3 दिन बाद पुलिस को लड़की की बॉडी खेत में पड़ी मिली थी. बॉडी देखकर पुलिस के भी होश उड़ गए थे. लड़की की दोनों आंखें फूटी हुई थीं. तेजाब से जलाई गई थीं. शरीर पर जगह-जगह जलने के निशान थे और हत्या से पहले पीड़िता के साथ गैंगरेप किया गया था. इस मामले में निचली अदालत ने 3 आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी.
लेकिन जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो शीर्ष अदालत ने पुलिस पर जांच के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाकर तीनों आरोपियों को बरी कर दिया. हमने इस केस के आईओ को तलाशने की कोशिश की तो पता लगा कि उस वक्त के इंस्पेक्टर रणवीर ढाका फिलहाल उत्तर पश्चिमी जिले में तैनात हैं. लेकिन फिलहाल वह छुट्टी पर हैं, और दिल्ली से बाहर हैं. वहीं, हमने कुछ पुलिस अधिकारियों से डीएनए सैंपल कलेक्शन, सीमन कलेक्शन और इसके नियम की बात की. उन्होंने कहा कि जब भी किसी पीड़ित के शरीर से कोई भी सैंपल कलेक्ट होता है तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट मौके पर मौजूद होते हैं और मौके से ही उस कलेक्शन को सीधे लैबोरेट्री भेज दिया जाता है, और अगर आरोपी बाद में पकड़े जाते हैं और उनका ब्लड सैंपल, सीमन सैंपल लेना होता है तो वह भी हॉस्पिटल में ही जाकर किया जाता है, और वहीं पर सैंपल जमा कर दिया जाता है.
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