उत्तर प्रदेश

फर्जीवाड़े का हुआ दा एंड, 1997 से मृतक आश्रित कोटे से कर रहे थे नौकरी

Admin Delhi 1
2 Dec 2022 10:34 AM GMT
फर्जीवाड़े का हुआ दा एंड, 1997 से मृतक आश्रित कोटे से कर रहे थे नौकरी
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मेरठ न्यूज़: बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ों की कमी नहीं हैं। कभी निलंबन बहाली का खेल तो कभी शिक्षा के नाम पर शिक्षकों में विवाद होने पर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ती के मामले सामने आते रहे हैं। वहीं ऐसे भी कई मामले है, जिनमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी करने की बात सामने आती रही हैं। ऐसा ही एक और प्रकरण सामने आया है, जब 1997 से फर्जी दस्तावेजों को आधार बना कर एक व्यक्ति ने मृतक आश्रित कोटे से सरकारी नौकरी हासिल कर ली। मामले की जांच हुई जिसके बाद अब इस शिक्षक को नौकरी से हटा दिया गया है। साथ ही उसके द्वारा अभी तक ली गई करोड़ों रुपये की तनख्वाह की रिकवरी करने की तैयारी है। वहीं, मामला फर्जीवाड़े से जुड़ा होने की वजह से उसके खिलाफ अब पुलिस में भी रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। जिससे फर्जीवाड़े का दा एंड हो गया।

मामला उच्च प्राथमिक विद्यालय नंगलामल से जुड़ा हैं। मिली जानकारी के अनुसार सन् 1997 से मृतक कोटे से नौकरी हासिल करने वाले सहायक अध्यापक देवेन्द्र शर्मा इस समय नंगलामल में अपनी सेवाएं दे रहे थे, लेकिन बीएसए को मिली शिकायत में कहा गया कि यह शिक्षक मृतक आश्रित कोटे से नौकरी करने के लिए फर्जी दस्तावेज इस्तेमाल करके नौकरी कर रहें है। शिकायत के बाद जांच की गई जिसमें प्रकरण सही पाया गया। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने वाले शिक्षक देवेन्द्र ने 1997 में सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल की थी। बताया जा रहा है पिछले 25 सालों में इस शिक्षक ने कई करोड़ रुपये तनख्वाह के रूप में प्राप्त किए। विभाग द्वारा अब इस रकम को वसूलने की तैयारी है। जिसको लेकर तहसील में मामला जाएगा। वहीं, फोर्जरी करने के आरोप में पुलिस में भी दोषी शिक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। मामले की दूसरी जांच में यह खुलासा हुआ है।

कैसे होता है यह खेल?

सुनकर ही अचंभा होता है कि जब शिक्षा जैसे पेशे में इस तरह के मामले सामने आते हैं। किसी भी शिक्षक की नियुक्त से पहले उसके सभी दस्तावेजों की जांच की जाती है। इसके बाद ही बेसिक शिक्षा अधिकारी उसकी नियुक्ति की संस्तुति करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या तत्कालीन बीएसए ने बिना सही जांच के किए इस शिक्षक को नियुक्ति दे दी थी। 25 सालों से यह शिक्षक नौकरी भी करता रहा और किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुई। शासन को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया, लेकिन इसकी जिम्मेदारी किसकी है, यह बड़ा सवाल है। अब मंगलवार को बीएसए योेगेन्द्र कुमार ने प्रकरण को लेकर सख्त कदम उठाते हुए शिक्षक को नौकरी से हटाने के आदेश जारी किए हैं, लेकिन ऐसे और भी कई मामले है उनको लेकर कब कार्रवाई होगी यह भी महत्वपूर्ण सवाल है।

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