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उत्तरप्रदेश: त्रेता युग से ही धर्म नगरी अयोध्या और महर्षि वशिष्ठ की धरती बस्ती का अटूट संबंध रहा है. जहां एक तरफ अयोध्या भगवान श्रीराम की धरती है तो वर्तमान में बस्ती जनपद को गुरू वशिष्ठ की धरती कहा जाता था. मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम के गुरू महर्षि वशिष्ठ यही बस्ती जनपद में ही निवास किया करते थे.
भगवान राम से बस्ती जनपद का अटूट संबंध होने के कारण शासन के निर्देश पर बस्ती विकास प्राधिकरण द्वारा प्राधिकरण क्षेत्र में रामायण के पत्रों के नाम रामायण सिटी बनाने का प्रस्ताव मिला था. जिसके लिए शासन बजट देने को भी तैयार थी. लेकिन हाईटेक स्तर पर बनने वाले इस रामायण सिटी के लिए बीडीए को जमीन ही नहीं मिली. नतीजतन रामायण सिटी का ख्वाब अब सपना बनता नजर आ रहा है.
क्या सपना होगा पूरा ?
आकर्षक और हाईटेक स्तर पर बनने वाले इस रामायण सिटी के लिए समतल, रोड़ से लगी हुई 25 एकड़ भूमि की जरूरत थी. बीडीए ने कई जगहों पर जमीन के लिए जद्दोजहद भी किया गया लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी नतीज़ा शून्य ही रहा. हालांकि बीडीए द्वारा अभी भी जमीन की तलाश जारी है. अभी तक बीडीए द्वारा इसको लेकर सामूहिक प्रयास भी नहीं किया जा रहा है. ऐसे में जमीन न मिलने की दशा में जनपद वासियों का रामायण सिटी में रहने का सपना सपना ही रह सकता है.
कैसा होगा रामायण सिटी ?
हाईटेक स्तर पर बनने वाले इस रामायण सिटी में सभी अत्याधुनिक सुविधाए मौजूद रहेंगी. जिसमें भगवान राम के संपूर्ण जीवन का चित्रण भी मौजूद रहेगा. रामायण सिटी में प्रभु श्रीराम सहित माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, गुरु महर्षि वशिष्ठ आदि के नामों से अलग-अलग ब्लॉक भी बनना है.
जमीन की तलाश जारी
एक्सईएन संदीप कुमार ने बताया कि रामायण सिटी के लिए ज़मीन की तलाश की जा रही है. ज़मीन मिलते ही इसका निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा. साथ ही जो किसान अपनी ज़मीन देना चाहता है वो बीडीए में आकर संपर्क कर सकता है उसको प्रॉपर मुआवजा दिया जाएगा.
Manish Sahu
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