उत्तर प्रदेश

विभागीय अधिकारियों ने ही फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप मढ़े

Admindelhi1
17 Feb 2024 6:10 AM GMT
विभागीय अधिकारियों ने ही फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप मढ़े
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फर्जी हस्ताक्षर की आशंका

कानपूर: अभी तक जनप्रतिनिधियों व किसानों के कटघरे में खड़ी खेत तालाब योजना पर अब विभागीय अधिकारियों ने ही फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप मढ़े हैं. विभाग में वरिष्ठ प्राविधिक सहायक ग्रुप बी ने मापन व सत्यापन के प्रपत्रों पर उनके फर्जी हस्ताक्षर करके भुगतान की आशंका जताई है. इस बाबत उन्होंने भूमि संरक्षण अधिकारी ललितपुर को एक पत्र भी लिखा है.

जनपद में खेत तालाब योजना के कार्य जमीन के बजाए कागजों पर कराए गए हैं. विभागीय अधिकारियों, दलालों व जनप्रतिनिधियों के गुर्गों ने मिलकर योजना का अनुदान हजम कर लिया. शिकायत के बाद दो सदस्यीय जांच कमेटी ने जब सत्यापन शुरू किया तो गांवों में खेत तालाब नहीं मिल रहे हैं. जांच अधिकारी ने योजना के तहत हुए भ्रष्टाचार से आला अधिकारियों को आवगत करवा दिया है.

इस भ्रष्टाचार के खिलाफ विभागीय अफसरों ने पहले से आवाज उठा रही है. जनपद स्थित भूमि संरक्षण विभाग में वरिष्ठ प्रभागीय सहायक ग्रुप बी के पद पर तैनात धर्मेंद्र कुमार सरिया ने भूमि संरक्षण अधिकारी ललितपुर को पत्र लिखकर अवगत कराया कि उनकी उप इकाई में अमित व्यास प्राविधिक सहायक-3 उनके अधीन कार्यरत हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 में खेत तालाब निर्माण के लिए लघु- 6 व मध्यम- 27 कुल 33 तालाबों का लक्ष्य उनको मिला है. इनमें से उन्होंने दो तालाबों का स्थलीय सत्यापन करके प्रथम किश्त के लिए मापन पुस्तिका में अंकन कर दिया है, जिनका भुगतान किया जा सकता है. उनके संज्ञान में आया है कि अमित व्यास की भौतिक व वित्तीय प्रगति कुल- 27 तालाबों की हो चुकी है जबकि दो तालाबों के अलावा उन्होंने किसी अन्य का मापन तक नहीं किया. कई बार उनके अनुरोध के बावजूद श्री व्यास ने उनको क्षेत्र भ्रमण नहीं करवाया. इसके बाद भी 25 खेत तालाबों का भुगतान कैसे संभव हुआ, यह समझ से परे है. उनके अलावा किसी अन्य ग्रुप-बी के व्यक्ति से सत्यापन व मापन कराए जाने से उनको कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन, यदि उनके फर्जी हस्ताक्षर बनाकर मापन पुस्तिका व भुगतान के बिल आप के समक्ष प्रस्तुत किए जा रहे तो इसमें उनकी जवाबदेही नहीं होगी.

वरिष्ठ प्राविधिक सहायक ग्रुप बी ने पत्र में यह भी बताया कि उनके संज्ञान में आया है कि तालाबों के सत्यापन प्रारूप व माप पुस्तिका पर उनके फर्जी हस्ताक्षर करके भुगतान निकाला जा रहा है.

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