उत्तर प्रदेश

गंगा की गोद में शव!...तो बहती लाशों का ये है कारण, जाने क्या बोले महंत-पुजारी?

jantaserishta.com
15 May 2021 7:53 AM GMT
गंगा की गोद में शव!...तो बहती लाशों का ये है कारण, जाने क्या बोले महंत-पुजारी?
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कोरोना से तबाही के बीच उत्तर प्रदेश से बिहार तक गंगा नदी में शवों के बहने का सिलसिला जारी है. कोरोना से हो रही लगातार मौतों के कारण श्मशान घाटों में लंबी कतारें इसकी वजह मानी जा रही थीं. हालांकि अब कई हिंदू महंत और पुजारी पंचक मुहूर्त को इसकी वजह बता रहे हैं. उनका कहना है कि पंचक काल में शवों का दाह संस्कार नहीं करने की परंपरा के चलते ऐसा हो रहा है.

अयोध्या और काशी के बड़े महंत अपना वीडियो जारी कर बता रहे हैं कि पंचक काल की ये परंपरा काफी पहले से चली आ रही है. वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारी श्रीकांत मिश्रा ने ऐसा ही एक वीडियो जारी कर कहा, 'इंसान की मृत्यु के बाद उसके शरीर को या तो भूमि में गाड़ दिया जाता है या जल प्रवाह कर दिया जाता है या फिर अग्नि में भस्म कर दिया जाता है. इन तीनों ही तरीकों से इंसान का शरीर पूरी तरह समाप्त हो जाता है.'
श्रीकांत मिश्रा कहते हैं कि हर महीने पांच दिन पंचक लगता है. पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से प्रारंभ होकर रेवती नक्षत्र पर समाप्त होता है. शास्त्रों के अनुसार, पंचक में पांच कार्य बिल्कुल निषिद्ध बताए गए हैं. इसमें शव दाह भी निषिद्ध माना गया है. इसके अलावा दक्षिण की यात्रा, चारपाई बनवाना और घर-मकान आदि का निर्माण भी मना किया गया है. पंचक में ये सभी कार्य नहीं करने चाहिए.
यदि पंचक में शव दाह करना बहुत आवश्यक है तो शास्त्रों में पुत्तल विधान के बारे में बताया गया है. इसमें पांच प्रकार के जौं के आटे से पुतले का निर्माण किया जाता है और पांचों नक्षत्रों के आह्वान से पूजन इत्यादि किया जाता है. अग्नि स्थापन और घृत की आहुति देने के बाद उन पाचों पुतलों को शव के ऊपर रखकर दाह संस्कार किया जाता है. इसके अलावा जल प्रवाह और भूमि समाधि देने का भी विकल्प है.
वहीं, आयोध्या के एक पुजारी राकेश तिवारी भी कुछ ऐसा ही कहते हैं. उन्होंने भी एक वीडियो जारी कर बताया कि हिंदू धर्म में पंचक लगने पर शव दाह नहीं किया जाता है. यदि शव दाह करना आवश्यकत है तो आटे का पुतला बनाकर और उसकी विधिवत पूजा के बाद ही ऐसा किया जा सकता है. इसके अलावा शव को जल में प्रवाहित कर सकते हैं या फिर भू-समाधि दी जा सकती है.
हालांकि किसी महंत या पुजारी के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि आखिर गंगा में इतने शव कैसे मिल रहे हैं और कोरोना संक्रमण से पहले इतने शव क्यों नहीं देखे गए. इस दौरान गंगा के किनारों पर शव दफनाने की खबरें भी लगातार सामने आ रही हैं.
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