उत्तर प्रदेश

बिटिया की गई जान…लापरवाह पुलिसकर्मियों पर आंच तक नहीं आई

Admin4
19 Sep 2022 6:01 PM GMT
बिटिया की गई जान…लापरवाह पुलिसकर्मियों पर आंच तक नहीं आई
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माधोटांडा की दरिंदों के द्वारा जिंदा जलाई गई दुष्कर्म पीड़िता की मौत हो चुकी है। इसकी सूचना मिलने के बाद गांव में पुलिस की तैनाती करते हुए शांति व्यवस्था बनाए रखने पर जोर दिया जाता रहा। मगर, इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस की लापरवाही को बड़ी आसानी से अधिकारी पर्दा डाल गए। अभी तक इसे लेकर कोई जांच तक नहीं कराई गई है।

बता दें कि सात सितंबर को दिनदहाड़े घटना अंजाम दी गई, लेकिन पुलिस तीन दिन बाद यानि दस सितंबर को दोपहर बाद हरकत में आई थी। उसके बाद साख बचाते हुए रिपोर्ट दर्ज की गई और आरोपियों को जेल भेज दिया गया। तीन दिन तक कार्रवाई तो छोड़िए पुलिस को यह भी नहीं पता चला कि एक दलित किशोरी को दरिंदगी के बाद जिंदा जला दिया गया है, जोकि जिला अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है। पुलिस बाद में चंद घंटों में गिरफ्तारी का राग अलापते हुए कार्रवाई गिनाकर गुडवर्क बताती रही। जिला अस्पताल से मेमो जाने के बाद भी आखिरकार पुलिस क्यों हरकत में नहीं आई? इस दिशा में जांच कराने की भी जहमत अभी तक नहीं उठाई गई। पुलिस सूचना तंत्र मजबूत होने का दावा करती है।

इसके बाद भी इस घटना का पता नहीं चला या फिर दुष्कर्म के बाद किशोरी को जिंदा जलाने की घटना को दबाने का काम किया जा रहा था। यह एक बड़ा सवाल घटना के बाद सामने है। कहीं न कहीं मातहतों की लापरवाही पर पर्दा डालने का काम पुलिस अधिकारियों के द्वारा किया गया। अब किशोरी की मौत के बाद गांव में फोर्स की तैनाती और शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की जाती रही। अभी भी अफसर मातहतों की लापरवाही को छिपाने का ही काम करते नजर आए।

तो एक अफसर के गुडमैन होने की वजह से टाला

इस पूरे मामले के बीच एक चर्चा और तेजी पकड़ रही है। इससे पहले भी माधोटांडा क्षेत्र में महिला फरियादियों को टकराने की शिकायतें हुई, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया। चर्चा है कि एक अफसर के चहेते होने की वजह से इस तरह की टालमटोल होती रही है। फिलहाल अधिकारियों का यही कहना है कि परिवार ने जैसे ही शिकायत की, त्वरित कार्रवाई कर दी गई थी।

न्यूज़क्रेडिट: amritvichar

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