- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- दीये की रोशनी पर...
दीये की रोशनी पर महंगाई का अंधेरा, बारिश ने बढ़ाईं मुश्किलें

दिवाली को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। बाजार में कई तरह की झालर और लाइटें दुकानों पर सज गई हैं। इसकी खरीदारी भी लोग जमकर कर रहे हैं, लेकिन मिट्टी के सामान बेचने वाले कुम्हारों की दुकानों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। इससे कुम्हार मायूस दिख रहे हैं। पिछले दिनों हुई बारिश से कुम्हारों द्वारा तैयार कच्चे दीये, ढक्कन, कलश, मिट्टी की झालर, खिलौने आदि सामान खराब हो गए थे। इसका व महंगाई का असर भी कुम्हारों की दुकानों पर दिख रहा है। वहीं, मिट्टी के बर्तन खरीदने को लेकर लोगों में भी उत्साह नजर नहीं आ रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में आर्डर देकर तैयार कराते हैं सामान
उपयुक्त मिट्टी और भूसा की उपलब्धता के चलते शहर क्षेत्र के ज्यादातर कुम्हार ग्रामीण क्षेत्रों से ही मिट्टी के दीये, बर्तन आदि तैयार कराते हैं। बांसमंडी के कुम्हार शरद कुमार बताते हैं कि इस बार लगातार हुई बारिश के चलते गांव के कुम्हारों ने भी पर्याप्त माल देने से मना कर दिया है। गांव के कुम्हारों के पास अब न तो इतना समय है और न ही कच्चा माल बचा है। नया माल नहीं मिलने के कारण पुराना या महंगे दरों पर माल लेकर बेचना पड़ रहा है।
दीये की महंगाई ने बढ़ाई दिक्कतें
मिट्टी के बर्तनों की दुकान चलाने वाले कुम्हार धर्मप्रकाश ने बताया कि जिन कुम्हारों को दिवाली के सामान बनाने का आर्डर दिया था, अब वे महंगे दरों पर सामान दे रहे हैं, पहले जो दीये 100 रुपये में 75 देते थे, अब 50 ही दे रहे हैं। ढक्कन, चौमुखी दीये, डिजायनर दीये, कलश के रेटों में भी औसतन 20 से 25 रुपये की बढ़ोत्तरी हो गई है।
महज रस्म निभाने के लिए लोग लेते हैं मिट्टी के दिये
कुम्हारों के मुताबिक अब लोग बिजली की झालर ही ज्यादातर उपयोग कर रहे हैं। पहले लोग सैकड़ों की संख्या में मिट्टी के दीयों की खरीदारी करते थे, लेकिन अब लोग महज रस्म निभाने के लिए मिट्टी के दीये और बर्तनों की खरीदारी करते हैं।