उत्तर प्रदेश

गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन का निर्माण कार्य छह वर्षों में भी नहीं किया पूरा , तीन वर्षों में था बनना

Ritisha Jaiswal
13 Jun 2022 9:13 AM GMT
गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन का निर्माण कार्य छह वर्षों में भी नहीं किया पूरा , तीन वर्षों में था बनना
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गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन का निर्माण कार्य छह वर्षों में भी नहीं पूरा हो सका है। फोरलेन तीन वर्षों में बनना था,

गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन का निर्माण कार्य छह वर्षों में भी नहीं पूरा हो सका है। फोरलेन तीन वर्षों में बनना था, लेकिन हीलाहवाली ने सब चौपट कर दिया। इसका खामियाजा राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है। इस फोरलेन से रोजाना दो से तीन लाख लोग आते-जाते हैं।

नेशनल हाइवे अथारिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) का दावा है कि अब तक 85 फीसदी काम हुआ है। जून में ही 15 फीसदी काम पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन निर्माण की जो गति है, वह दावों पर सवाल खड़े कर रही है। आमी नदी से जुड़े क्षेत्रों में काम बेहद धीमा है।बड़हलगंज-दोहरीघाट के बीच सरयू नदी पर अभी तक पुल नहीं बन सका है। पुल बनने में कितना समय लगेगा, यह बता पाना मुश्किल है। कौड़ीराम के पास बनाया जा रहा बाईपास भी अधूरा है। बाईपास बने बगैर फोरलेन पर फर्राटा भर पाना मुश्किल है।गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन बनने के बाद कई शहरों की दूरी आसानी से तय की जा सकेगी। गोरखपुर से आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया और जौनपुर जाना आसान हो जाएगा। कम समय में ही दूरी तय की जा सकेगी। इसी रूट से प्रयागराज की बसें भी जाती हैं।
सड़क की गुणवत्ता पर भी सवाल
सेंवई बाजार से महावीर छपरा के बीच फोरलेन निर्माण की गुणवत्ता सवालों के घेरे में है। सवाल उठने के बाद ही फोरलेन को कुछ जगह तोड़ा गया। अब नए सिरे से निर्माण कराया जा रहा है। गोरखपुर से बड़हलगंज के बीच नई फोरलेन पर कई जगह हिचकोले खाने पड़ते हैं। ऐसा लगता है कि फोरलेन कहीं-कहीं धंस गई है।
केंद्रीय मंत्री के दावा सही नहीं हुआ
गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन का निर्माण 2016 से शुरू हुआ था। इसका शिलान्यास केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने किया था। केंद्रीय मंत्री का दावा था कि सड़क तीन वर्षों में बनकर तैयार हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। छह वर्ष हो गए हैं। अब भी निर्माण कार्य चल रहा है।
सांसद ने मामला उठाया तो पीएमओ ने शुरू की निगरानी
फोरलेन निर्माण में देरी का मामला बांसगांव से भाजपा सांसद कमलेश पासवान ने भी उठाया था। हीलाहवाली व लापरवाही की शिकायत पीएमओ तक से की थी, लेकिन कोई खास नतीजा नहीं निकल सका। कई बार यह तथ्य सामने आया कि फोरलेन निर्माण की निगरानी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से की जा रही है। इसके बावजूद निर्माण कार्य में बहुत तेजी नहीं आई है।
मुख्यमंत्री भी कई बार कर चुके हैं समीक्षा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन के निर्माण कार्यों की समीक्षा कई बार कर चुके हैं। कार्यदायी संस्था को कार्यों में तेजी लाने और ढिलाई बरतने पर कार्रवाई के निर्देश भी दे चुके हैं, फिर भी मामला जस का तस है।
एनएचएआई परियोजना प्रबंधक सीएम द्विवेदी ने कहा कि फोरलेन का निर्माण कार्य जल्द पूरा कराना है। कार्यदायी संस्था ने जहां घटिया काम कराया था, उसे उखड़वा दिया गया। जिस दिन काम पूरा होने का सर्टिफिकेट दिया जाएगा, उसी दिन से टोल टैक्स लगेगा। चार साल तक फोरलेन के रखरखाव की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था की रहेगी। जहां भी सड़क खराब होगी, उसे ठीक कराने का काम कार्यदायी संस्था करेगी। आमी नदी के आसपास ढाई किलो मीटर का काम रह गया है। पुल का काम तेजी से हो रहा है। जून तक काम पूरा होने की उम्मीद है।
जून तक किसी हाल में पूरा नहीं होगा काम
किसी हाल में जून तक काम पूरा नहीं होगा। छह साल से फोरलेन बनने का इंतजार किया जा रहा है। कारोबार प्रभावित है। कई बार रास्ता बदलकर गोरखपुर जाना पड़ता है। इससे दूरी बढ़ती है। फोरलेन के हिचकोले परेशान करने वाले होते हैं। : चंदन जायसवाल, व्यवसायी
समय से काम नहीं, लोगों को दिक्कत
फोरलेन का निर्माण एनएचएआई करा रहा है। निर्माण कार्य में देरी का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। राहगीरों के साथ ही इस रूट पर जितने दुकानदार हैं, वे सब परेशान हैं। छह वर्षों से धूल फांक रहे हैं। : अजय पांडे, व्यवसायी
तमाम राहगीर ऐसे हैं, जो रास्ता बदलकर वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ जा रहे हैं। गोरखपुर के लोग पहले देवरिया जाते हैं, फिर संपर्क मार्ग पकड़कर दोहरीघाट पहुंचते हैं। दोहरीघाट से आजमगढ़, मऊ व वाराणसी की सड़क पकड़ते हैं। : रमेश वर्मा, व्यवसायी
देरी खूब, फिर भी गुणवत्ता ठीक नहीं
फोरलेन के निर्माण में देर तो हो ही रही है, गुणवत्ता ठीक नहीं है। कुछ स्थानों पर सड़क तोड़कर नए सिरे से बनाई गई। लेकिन, इतने से काम नहीं चलेगा। कई जगह स्थिति अब भी खराब है। कार्यदायी संस्था के खिलाफ सख्ती जरूरी है। : रवि जायसवाल, व्यवसायी


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