उत्तर प्रदेश

केमिकल फैक्ट्री ने छीना मजदूरों की आँख की रौशनी

Shantanu Roy
2 Aug 2022 5:05 AM GMT
केमिकल फैक्ट्री ने छीना मजदूरों की आँख की रौशनी
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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान 

कानपुर। कानपुर की टेनरियों में काम करने वाले कामगारों की आंखें सूख रही हैं। ड्राईनेस का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग के रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है।केमिकल

कानपुर की टेनरियों में काम करने वाले कामगारों की आंखें सूख रही हैं। ड्राईनेस का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग के रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है। शोधकर्ताओं के मुताबिक टेनरियों में काम करने वालों की आंखों का पानी तीन साल के भीतर ही सूख जाता है और धीरे-धीरे रोशनी कम होती जाती है। ऐसा कच्चे चमड़े और केमिकल्स के संयोजन से हो रहा है। शोध में 246 कामगारों को लिया गया, जिनकी उम्र 24 से 44 साल रही।

तीन साल तक अध्ययन के बाद कामगारों का सबसे पहले फ्लोरेसिन टियर फिल्म ब्रेकअप टाइम टेस्ट किया गया। इसके बाद फ्लोरेसिन धुधंला और शिमर टेस्ट किया गया। जब रिजल्ट आया तो डॉक्टर भी चौंक गए। फ्लोरेसिन टियर फिल्म ब्रेकअप टाइम टेस्ट में परिणाम 63.8 फीसदी में पॉजिटिव मिला। फ्लोरेसिन धुधंला टेस्ट में 30.9 और शिमर टेस्ट में 41.9 फीसदी पॉजिटिव परिणाम सामने आए। डॉक्टरों के मुताबिक औसतन 64 फीसदी की आंखें ड्राई बीमारी का शिकार हो चुकी हैं। सभी में ड्राईआई की बीमारी गंभीर स्थिति में मिली। इसी के तारतम्य में नेत्र विभाग के डॉक्टरों ने प्रश्नावली आधारित स्टडी भी की जिसमें 20 से 59 साल के 728 कामगार शामिल किए गए थे। इसमें भी 99.99 फीसदी में हल्के-मध्यम और गंभीर ड्राई आई की बीमारी की पुष्टि हुई। सिर्फ 15.77 फीसदी कंट्रोल ग्रुप मिला।

रासायनिक जोखिम

शोध में सामने आया कि टेनरियों में सूखी आंख की बीमारी व्यावसायिक खतरा है जिसकी गंभीरता उम्र और वहां काम की अवधि के साथ बढ़ जाती है। टेनरी के गर्म और धूल भरे कामकाजी माहौल में रासायनिक जोखिम मिला है। ऐसे में टेनरी में कार्यअवधि में चश्मा और हर महीने गहन परीक्षण जरूरी है।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज नेत्र विभाग की प्रोफेसर डॉ. शालिनी मोहन ने बताया, टेनरी वर्करों में ड्राई आई सिंड्रोम तेजी से बढ़ती बीमारी मिली है। इसे गंभीरता से नहीं लेने पर आंखों की रोशनी धुंधली होने के साथ नींद की कमी, थकान होती है। चुभन, जलन संग रात में ड्राइविंग में समस्या होती है। ऐसे में टेनरियों में बराबर चेकअप और दवा का प्रयोग जरूरी है।


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