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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : अपार्टमेंट कमजोर और बिल्डर ने धोखे में रखकर बेचा है तो रियल स्टेट विनियमन व विकास अधिनियम (रेरा) के तहत विभाग की वेबसाइट पर शिकायत की जा सकती है। रेरा की वेबसाइट पर हुई शिकायत पर त्वरित कार्रवाई होती है। रेरा के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट पर ही अपील की जा सकती है। अपार्टमेंट ढह जाने पर जिला प्रशासन में शिकायत की जा सकती है। जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि पीड़ित पक्ष को राहत दिलाए। दुर्घटना होने पर बिल्डर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराना उपभोक्ता का अधिकार है।
कानपुर बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल दीप का कहना है कि 2016 में रेरा की स्थापना हुई। उत्तर प्रदेश रेरा विभाग की शिकायत सेल बहुत ही प्रभावी है। इस सेल के चेयरमैन रिटायर आईएएस अधिकारी होते हैं। निर्माण में कमी, धोखा देकर पैसा लेना, फ्लैट की कमी होने पर रेरा में बिल्डर के खिलाफ सीधे शिकायत की जा सकती है। रेरा का अपील ट्रिब्यूनल सुनवाई कर उपभोक्ता के हित को ध्यान में रखकर फैसला देता है। 18 फ्लैट से ज्यादा का अपार्टमेंट बनाने वाले बिल्डर को रेरा में पंजीकरण भी कराना होता है। उसे उपभोक्ता की सुरक्षा के संबंध में दी जा रही सुविधाओं के संबंध में जानकारी भी देनेी होती है। अपार्टमेंट का कोई भी हिस्सा ढह जाने पर केडीए से शिकायत की जा सकती है। केडीए में सुनवाई नहीं होने पर जिला प्रशासन को भी प्लैट धारकों की सुनवाई करने का अधिकार है। हादसा होने पर आईपीसी के धारा में रिपोर्ट भी दर्ज कराई जा सकती है। जनहानि या लोगों के घायल होने पर जिला प्रशासन से शिकायत की जा सकती है। जिला अधिकारी स्तर पर जांच कराकर कार्रवाई की जा सकती है।
source-hindustan
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