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शाहजहांपुर। शहर में एक बालक अपने पिता को खाना देने के बाद भण्डारा में शामिल होने के बाद हनुमत धाम पर आया। खन्नौत नदी में बालक नहाने के लिए गया तो अचानक उसका पैर स्लिप हो गया, जो नदी में डूब गया। नदी में नहा रहे अन्य बच्चों ने शोर मचाया तो गोताखोरां ने नदी में छलांग लगा दी। गोताखोरों ने करीब दो घंटे बाद बालक को बाहर निकाल लिया। बेहोशी की हालत में उसे जिला अस्पताल ले गए। डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
रामचंद्र मिशन थाना क्षेत्र के मोहल्ला ख्वाजा फिरोज निवासी ओमप्रकाश केरुगंज में काम करते है। उसकी पत्नी निधि ने अपने 12 वर्षीय बेटे विनीत से कहा कि पापा को खाना दे आओ। वह दिन में 11 बजे मोहल्ले के बच्चों के साथ पापा को खाना देने के लिए घर से निकला। उसने अपने पापा को खाना दिया और वापस घर के लिए चल दिया। हनुमत धाम पर भण्डारा हो रहा था और भण्डारे में शामिल होने के लिए हनुमत धाम पर चला गया। बजंरग वली की प्रतिमा से 200 कदम की दूरी पर बच्चे खन्नौत नदी में नहा रहे थे। वह भी नदी में नहाने के लिए गया तो अचानक उसका पैर स्लिप हो गया और आगे चला गया। वह नदी में डूबने लगा तो बच्चों ने शोर मचाया कि नदी में बालक डूब गया।
नदी के किनारे खड़े गोताखोरों ने नदी में छंलाग लगा दी। इधर पुलिस भी पहुंच गई। भण्डारे में अफरा-तफरी मच गई। गोतोखोरों ने दो घंटे बाद बच्चे को बाहर निकाल लिया। पुलिस बेहोशी की हालत में बालक को लेकर जिला अस्पताल आए और डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। इधर खबर सुनकर मृतक के परिवार वाले जिला अस्पताल पहुंच गए। पुलिस ने बालक के शव का पोस्टमार्टम कराया। सीओ सिटी अखण्ड प्रताप सिंह ने बताया कि बालक अपने पिता को खाना देने के बाद हनुमत धाम पर चला गया था और नहाने के लिए नदी में गया तो डूबकर उसकी मौत हो गई।
सीओ पुवायां पंकज पंत, उनका गनर और एक सिपाही हनुमत धाम पर हनुमान जी की मृर्ति से कुछ दूरी पर पर ड्यूटी पर थे। बच्चों ने शोर मचाया कि एक बालक नदी में डूब रहा है। सीओ पुवायां, गनर और सिपाही तुरंत नदी में उस स्थान पर कूद गए और डूबे बच्चे को तलाश करने लगे। जब तक गोताखोर आ गए और कहा कि आप बाहर निकल जाए और हम लोग तलाश कर रहे है। नदी के किनारे पहले से गोताखोर लगे हुए थे। बताते है कि जब हनुमान जी की प्रतिमा बनायी जा रही थी, एक कारीगर की डूबकर मौत हो गई थी। उसके शव को दो दिन तक तलाशा गया था, लेकिन शव नहीं मिला था। ओमप्रकाश केरुगंज में एक दुकान पर काम करते है। उनका बेटा विनीत इकलौता बेटा है और विनीत की दो बहनें रागिनी व पलक है। ओमप्रकाश की पत्नी निधि दोपहर दो बजे घरेलू काम कर रही थी। उसे खबर मिली कि उसका बेटा नदी में डूब गया और जिला अस्पताल में है। निधि और उसके पति जिला अस्पताल पहुंचे। उसे पता चला कि उसके बेटे विनीत की मौत हो गई है। यह खबर सुनकर उसकी मों रोत-रोते हुए जिला अस्पताल के बाहर बेहोश हो गई। लोगों ने उसके मुंह पर पानी की छीटे माकर होश में लाए और ई-रिक्शा से लेकर उसे घर आ गए। उसकी मां रो-रोकर कह रही थी हनुमान जी ने मेरे बेटे ने क्या किया था, जो नदी में डूबकर मर गया। पोस्टमार्टम के बाद शव पहुंचने पर कोहराम मच गया।
जैसे ही विनीत को बेहोशी की हालत में नदी से निकाला गया, तभी एक पुलिसकर्मी ने तत्परता दिखाते हुए उसे उठाया और साथियों के साथ अस्पताल ले जाने के लिए भाग खड़ा हुआ। चूंकि हनुमत धाम पर बहुत भीड़ थी, इसके बावजूद अन्य पुलिसकर्मी भीड़ को हटाते हुए ई-रिक्शा पर दिलीप को लिटाकर जिला अस्पताल लेकर चले गए, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
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