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गांव में चीख-पुकार के बीच चारों बच्चियों के शवों को दफनाया
बस्ती: पोस्टमार्टम के बाद चारों बच्चियों के शव गांव पहुंचे तो कोहराम मच गया. चारों बच्चियों को गांव की शमशान भूमि में दफनाया गया. गांव में मातम का माहौल है. अधिकतर घरों में चूल्हे नहीं जले. तहसील प्रशासन ने चारों बच्चियों के परिवार वालों को 16 लाख की आर्थिक मदद देने की संस्तुति की है.
फरीदपुर के गांव नवादा बिलसंडी निवासी पांच भाई अमिताभ, अर्जुन, भीमसेन, नकुल और सुखवीर का परिवार संयुक्त रूप से एक ही घर में रहते हैं. अर्जुन की मौत हो चुकी है. उनकी पत्नी लक्ष्मी देवर सुखवीर के साथ रहती है. घर छोटा होने से उन लोगों ने छत पर झोपड़ी बना रख थी, जिसके सामने पुआल का ढेर लगा था. परिजनों ने बताया कि दोपहर करीब दो बजे भीमसेन की बेटी प्रियांशी (05), अमिताभ की बेटी नीतू (06) व मानवी (02) और अर्जुन की बेटी नैना (05) छत पर पुआल के ढेर के पास गुड़िया से खेल रही थीं. खेलने के दौरान गुड़िया के लिए खाना बनाने को बच्चों ने माचिस जलाई, जिससे पुआल के ढेर में आग गई. सभी बच्चियां डरकर झोपड़ी में छिप गईं. कुछ ही देर में झोपड़ी आग की चपेट में आ गई तो बच्चियों ने चीख-पुकार मचाई. ांव वालों ने पानी डालकर आग बुझाई लेकिन तब तक प्रियांशी, मानवी और नैना की मौत हो चुकी थी. वहीं भोजीपुरा के मेडिकल कॉलेज ले जाते समय नीतू ने रास्ते में दम तोड़ दिया. पुलिस ने चारों बच्चों के शव पोस्टमार्टम को भेजे. पोस्टमार्टम के बाद बच्चियों के शव परिजनों को सौंप दिए गए. गांव के सैकड़ों लोग मौके पर पहुंच गए. गांव की शमशान भूमि में चारों बच्चियों के शव दफन किए गए.