उत्तर प्रदेश

गंगा घाट पर दफनाई गई लाशें आने लगी बाहर, जोनल अधिकारी ने उठाया ये कदम

jantaserishta.com
31 July 2021 11:10 AM GMT
गंगा घाट पर दफनाई गई लाशें आने लगी बाहर, जोनल अधिकारी ने उठाया ये कदम
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संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में एक बार फिर फाफामऊ (Phaphamau Ghat) के गंगा घाट पर दफनाई गयी लाशें बाहर आने लगी हैं. शुक्रवार को करीब 50 से ज्यादा शवों का हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया.

गंगा में आई बाढ़ के कारण शवों के अंतिम संस्कार करने के लिए नगर निगम कर्मचारियों को खासी दिक्कत का भी सामना करना पड़ा. बाढ़ के कारण नाव से लकड़ियों को लाया जा रहा है. नगर निगम के जोनल अधिकारी अपनी टीम के साथ लगातार रेत से बाहर आई लाशों का अंतिम संस्कार करा रहे हैं. नगर निगम के जोनल अधिकारी नीरज सिंह अपने परिवार की तरह इन लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर उनको मुखाग्नि दे रहे हैं.
संगम नगरी प्रयागराज में यह नजर आपने पहले भी देखा है कि कोरोना की दूसरी लहर में फाफामऊ के गंगा घाट पर सैकड़ों लाशें रेत में दफन की गई थी और जो लाशें रेत से बाहर आ रही थीं उनका अंतिम संस्कार कराया जा रहा था ताकि शव गंगा में न बह जाए. उस वक्त गंगा के बढ़े जलस्तर के कारण अंतिम संस्कार रोकना पड़ा था लेकिन आज फिर वही तस्वीर सामने देखने को मिल रही है.
फिर कटान के कारण दफन शव रेत से बाहर आने लगे है. शुक्रवार को 50 से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज से किया गया. नगर निगम के जोनल अधिकारी नीरज सिंह लगातार इन शवों को मुखाग्नि दे रहे हैं. वहीं गंगा में बढ़े जलस्तर के कारण अंतिम संस्कार करने के लिए खासी दिक्कत का सामना भी करना पड़ रहा है. लकड़ियों को नाव से लाकर इस ऊंचे टापू पर लाकर वहां निकले शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है.
कोरोना की दूसरी लहर में हजारों लोगों की जान चली गई और लोगों ने उन शवों को गंगा घाट पर रेत में दफना दिया था, लेकिन कुछ दिन बाद दफन शव रेत से बाहर आने लगे थे और गंगा में बड़े जलस्तर के कारण अंतिम संस्कार को रोकना पड़ा था. लेकिन एक बार फिर रेत में दफन लाशें यहां फिर दिखने लगी हैं. शुक्रवार को 50 से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया गया.
नगर निगम के जोनल अधिकारी नीरज सिंह लगातार दफनाए गई लावारिस लाशों को अपनों की तरह उनका अंतिम संस्कार करा रहे हैं. नीरज सिंह लावारिस लाशों की खुद पूजा पाठ कर उनको पूरे हिंदू रीति रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार कर उनको मुखाग्नि देते हैं. अब तक करीब 300 से ज्यादा लावारिस शवों का पूरे हिंदू रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करा चुके हैं.
कोरोना की दूसरी लहर में फाफामऊ के गंगा घाट पर हजारों शव रेत में दफन किए गए थे, लेकिन ये शव बारिश के कारण रेत से बाहर दिखने लगे थे. मीडिया में यह खबर आने के बाद प्रशासन और नगर निगम ने मिलकर एक निगरानी समिति बनाई जो गंगा में शव न बहे इसकी देख रेख कर रही है.
4 जून को फाफामऊ घाट पर लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की शुरुआत की गई ताकि उन शवों का सम्मान सहित अंतिम संस्कार हो सके. 17 जून तक 24 शवों का अंतिम संस्कार किया गया. इसके बाद 25 जून तक 100 शवों को मुखाग्नि दी गई और ये सिलसिला 27 जून तक चला. 24 दिनों में करीब 150 शवों का अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से करा दिया गया.
इसके बाद गंगा में तेजी से पानी बढ़ा तो अंतिम संस्कार को रोकना पड़ा, लेकिन कुछ ही दिनों बाद इक्का दुक्का शव फिर देखने को मिले तो उनका भी अंतिम संस्कार कराया गया लेकिन अब करीब 25 दिन के बाद कटान के कारण फिर शव दिखाई पड़ने लगे. नगर निगम की निगरानी समिति ने फिर इसकी जानकारी अपने अधिकारियों को दी तो नगर निगम के जोनल अधिकारी नीरज सिंह ने उन शवों को पूजा पाठ कर पूरे हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार कर उनको मुखाग्नि दी.


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