उत्तर प्रदेश

विभाग के मुखिया की मौन स्वीकृति पर चल रहा गृहकर में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल, लेकिन सूत्रधार कौन

Admin Delhi 1
26 Dec 2022 10:27 AM GMT
विभाग के मुखिया की मौन स्वीकृति पर चल रहा गृहकर में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल, लेकिन सूत्रधार कौन
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मेरठ न्यूज़: पिछले तीन माह से नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम की पराकाष्ठा पर पहुंच गया हैं। किसी भी विभाग में हो रहे अच्छे और बुरे कार्यों में उत्तरदायित्व उसके मुखिया का होता हैं या अन्य भाषा में कहा जाए तो कैप्टन आॅफ द शिप अपने जहाज का हर अच्छे बुरे कार्य का उत्तरदायित्व होता है तथा ये कहे कि कर्मचारी द्वारा किये जा रहे भ्रष्ट कृत्य का संज्ञान नहीं हैं तो उसकी अकर्मण्यता को प्रलक्षित करता हैं या अन्य भाषा में कहा जाए तो कहीं न कहीं विभाग के मुखिया की भी साझेदारी मौन स्वीकृति के रूप में विभाग के कर्मचारियों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार में संलिप्ता स्वयं सिद्ध होती हैं।

निगम में भ्रष्टाचार कोई नया खेल नहीं है। ये हमेशा से होता आया है, चाहे कूडेÞ के लिए पुरानी गाड़ियां खरीद हो, जिनका अब तक पंजीकरण नहीं हो सका। क्योंकि वो किसी बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र से कंडम हुई गाड़ियों को नई में खरीदा गया था। डीजल खरीद का प्रकरण हो, उसमें भी बड़ा घोटाला होता आया हैं तथा मौजूदा मुखिया के कार्यकाल में भी ये डीजल का खेल लाखों रुपये प्रति माह के भ्रष्टाचार के रूप में बदस्तूर जारी हैं।

क्योंकि ये तेल का खेल जिस व्यक्ति से मिलकर खेला जा रहा है, वह निगम में पहले से ही ब्लैकलिस्टिड हैं तथा तेल माफिया के रूप में तेल चोरी प्रकरण में जेल जा चुका हैं। पानी की पाइप लाइन बिछाने का घोटाला हो, कर्मचारी की नियुक्ती का फर्जीवाड़ा हो, ये सब नगर निगम में सदैव से चलता आया हैं तथा मौजूदा मुखिया के कार्यकाल में भी ये सब बंदरबाट पूर्ण मौन स्वीकृति की शह पर चल रहा हैं।

…तो विभाग के मुखिया के इशारे पर चल रहा संगठित गठजोड़!

कुछ बड़ों पर कार्रवाई आला अफसर छोटों से खुलेआम वसूल रहे हैं। क्या मुखिया का ये कर्तव्य नहीं है कि 670 नोटिस नवल सिंह ने जलकल और बढ़ी हुई ब्याज दर के अनुसार गंगानगर सर्किल में दिये गए। जब से निगम के एक बड़े अधिकारी ने कार्यभार संभाला हैं, तब से रणनीति के तहत सुसंगठित तरीके से गृहकर के नाम पर अवैध उगाही खेल चालू हो गया हैं, जिसके एक अहम किरदार नवल सिंह राघव ने खुलकर भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं लांघ दी थी।

क्योंकि उच्च अधिकारी का संरक्षण प्राप्त था। संगठित होकर किस तरह से सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार कर रहे थे, ये एक बानगी भर हैं। ये भ्रष्टाचारियों की पूरी टीम पहले हाउस टेक्स के साथ जलकर व ब्याज तथा लेट फीस आदि गणना करके भारी राशि का बिल गृह स्वामियों को भेज देते हैं तथा यही से इनके भ्रष्टाचार का खेल शुरू हो जाता हैं। रिश्वत के तौर पर बढ़ी हुई राशि को कम करने के बदले में आधी याफिर तिहाई राशि रिश्वत के रूप में लेकर उक्त अवैध रूप से बढ़ाकर दर्शायी गयी राशि को कम कर देते हैं तथा शेष राशि निगम कोष में जमा करा देते हैं।

इससे अवैध उगाही भी हो जाती हैं तथा निगम को गृहकर भी मिल जाता हैं, परन्तु यक्ष प्रश्न यह है। एक क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा 670 नोटिस गलत तरीके से प्रेषित किये गए तथा प्रतिदिन लाखों रुपये का उगाही का खेल एक ही जोन से चल रहा था तो क्या मुखिया को इसका पता नहीं था। ऐसा कतई संभव नहीं हैं। निगम में यकायक बढ़े भ्रष्टाचार की गूंज लखनऊ तक सुनाई दे गई तथा वहां से प्राप्त निर्देशों के अनुरुप भ्रष्टाचार निवारण विभाग द्वारा राजस्व निरीक्षक को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया तथा इसके मुखिया ने फोन बंद करके किसी भी प्रेस को कोई जवाब नहीं देना अपने आप में एक प्रश्न चिन्ह हैं।

रिश्वत का आरोपी बाबू जेल गया: पांच हजार रुपये रिश्वत लेने के आरोप में एंटी करप्शन की गिरफ्त में आये नगर निगम के गंगानगर जोन में तैनात बाबू को गंगा नगर पुलिस ने रविवार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जहां से उसको 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। नगर निगम के गंगानगर यूनिट में तैनात कर निरीक्षक नवल सिंह राघव को शनिवार को पांच हजार रुपये रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन की टीम ने पकड़ा था। पुलिस ने नवल सिंह को पूरी रात गंगानगर थाने की हवालात में रखा और रविवार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट जुडीशियल मजिस्ट्रेट द्वितीय की कोर्ट में पेश करने के लिये ले गए। पुलिस ने आरोपी को शाम पांच बजे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जहां से आरोपी को चौदह दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

सही मंच पर उठाएंगे भ्रष्टाचार का मुद्दा: राज्यमंत्री

नगर निगम में भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही है और हाल ही में बाबू को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है।

इन सब मुद्दों को सही मंच पर मजबूती से उठाया जाएगा। -सोमेंद्र तोमर, ऊर्जा राज्यमंत्री

निगम के भ्रष्टाचार से सरकार की छवि हो रही धूमिल: अमित

नगर निगम में जो भ्रष्टाचार चल रहा है, उससे सरकार की छवि को खराब किया जा रहा हैं। नगरायुक्त का जिम्मेदारी वाला पद है, उन्हें अधीनस्थों पर नकेल कसनी चाहिए, ताकी ये भ्रष्टाचार बंद हो सके।

अमित पाल शर्मा को अहम जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन भ्रष्टाचार को वो रोक नहीं पा रहे हैं। -अमित अग्रवाल, भाजपा विधायक, कैंट विधानसभा, मेरठ

सरकार कसेगी भ्रष्टाचार पर शिकंजा: विमल शर्मा

नगर निगम में जो भ्रष्टाचार हो रहा है, वो बेहद गंभीर हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टोलरेंस पर कार्य कर रहे हैं, फिर सरकारी सिस्टम को भी भ्रष्टाचार मुक्त होकर काम करना चाहिए,

इसमें नगरायुक्त भी भ्रष्ट कर्मचारियों पर कार्रवाई करें। इस पर नगर आयुक्त को ध्यान देना चाहिए। -विमल शर्मा, जिलाध्यक्ष भाजपा, मेरठ

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