उत्तर प्रदेश

आंखे बंद किए बैठा है प्राधिकरण, मानकविहीन इमारतों से पटा है शहर

Admin4
6 Sep 2022 1:19 PM GMT
आंखे बंद किए बैठा है प्राधिकरण, मानकविहीन इमारतों से पटा है शहर
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सन 1985 से अपने गठन के बाद से ही अयोध्या विकास प्राधिकरण आंखे बंद किए बैठा रहा। नतीजा इन 37 सालों में पूरा शहर बेमानक बिल्डिंगों और भवनों से पट गया। अभी भी प्राधिकरण की आंखें नहीं खुली है। नतीजतन आज भी कई इलाकों में मानकविहीन इमारतों व भवनों का निर्माण जारी है। इनमें से करीब 80 फीसदी बिल्डिंगें जो होटल व माल बन रहे हैं। वे आवासीय क्षेत्रों में शामिल हैं। मंगलवार को 'अमृत विचार' ने इसकी पड़ताल की। ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि लखनऊ के लेवाना होटल हादसे से जिम्मेदारों ने कोई सबक ले पायेगा। यह अलग बात है कि हादसे के बाद चेकिंग की रस्म अदायगी सोमवार से चल रही है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि शहर में लगातार बन रहे होटल, अस्पतालों और मॉल को आवासीय इलाकों में बनाए जाने की स्वीकृति कैसे दी जा रही है जबकि यह पूरी तरह से नियम विरुद्ध है। कामर्शियल बहुमंजिला इमारतों के निर्माण के लिए मानकों के अनुसार 15 फिट से ऊंची इमारतों में फायर सिस्टम की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन कहीं इसका पालन नहीं दिखाई दिया।
पुष्पराज चौराहे पर फेसू दफ्तर के ठीक पीछे बेसमेंट लेकर एक छह मंजिला इमारत का निर्माण हो रहा है। इसके अगल-बगल रिहायशी इलाका है। निर्माण के दौरान ही यहां आग से बचाव के लिए होने वाले मानक नहीं दिखाई दिए। इसे कामर्शियल काम्प्लेक्स बताया जा रहा है। यही नहीं डीएम आवास को जाने वाली रोड पर प्राधिकरण कार्यालय से ठीक पहले एक निजी अस्पताल का निर्माण भी ऐसे ही आवासीय क्षेत्र में हो रहा है। पांच मंजिला इस अस्पताल के निर्माण में भी मानक और नियमों का कहीं पालन नहीं दिखा। पॉश इलाके सिविल लाइन में बन रहे इस निजी अस्पताल का अब तक तैयार भवन में न पार्किंग की व्यवस्था दिखी न ही सुरक्षा मानकों की पहले से स्थापना का कोई स्थान। इन दोनों बिल्डिंगों के बारे में जब एक्सईएन प्राधिकरण अजय कुमार से पूछा गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई। उन्होंने बताया कि संबधित दोनों बिल्डिंगों के निर्माण की जानकारी नहीं है। इसे दिखवाया जायेगा।
अब आईए जो बिल्डिंगें होटल और गेस्ट व मॉल के रूप में बन कर तैयार हैं उन पर भी एक नजर डालें। सिविल लाइन स्थित ईदगाह के ठीक सामने बना एक गेस्ट हाउस का पहला व दूसरा तल दोनों शीशों से पैक है। अग्निशमन से बचाव के इंतजाम तो दरकिनार पार्किंग की भी नहीं है। ऐसे में भविष्य में किसी हादसे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इसके अलावा पुष्पराज चौराहे से स्टेशन रोड पर एक बैंक व एक होटल और कोल्ड स्टोरेज है। बैंक में फायर सिस्टम के नाम पर आग बुझाने वाले सिलेंडर है। संयंत्र नहीं लगा है। वहीं उसके आगे एक नामी होटल की तिमंजिला इमारत है। वहां अग्निशमन का संयत्र बेसमेंट में बताया गया। वहीं नगर निगम के सामने बने एक बड़े होटल के बगल दूसरे होटल में तो गजब ही नजारा दिखाई दिया। इस होटल में जनरेटर रूम से गया केबल झूलता हुआ ट्रांसफार्मर तक गया है। यह केबल प्रथम तल पर बने कमरों से होकर गुजरता है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है मानक और नियमों का कितना अनुपालन किया गया। यही नहीं शहर में 70 फीसदी से अधिक होटल, अस्पताल और गेस्टहाउस समेत माल आदि में नियम कानून और मानक दरकिनार हैं लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है।
बोले जिम्मेदार
मानकों का पालन न करने वाले लोगों के खिलाफ किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई करने का विभाग को कोई अधिकार नहीं मिला है। जरूरत पड़ने पर नोटिस देते हैं।
लखनऊ में हुए हादसे के बाद शासन के निर्देश पर सभी बहुमंजिला इमारतों का सर्वे कराया जाएगा। इसके लिए टीमें बनाई जा रही है। बेमानकों पर कार्रवाई होगी।
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