उत्तर प्रदेश

डेंगू की दस्तक-आरक्षण की आहट के बीच बदल गया क्षेत्रीय पार्षदों का रवैया

Admin4
11 Nov 2022 10:07 AM GMT
डेंगू की दस्तक-आरक्षण की आहट के बीच बदल गया क्षेत्रीय पार्षदों का रवैया
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मुरादाबाद। मच्छर जनित डेंगू को लेकर लोगों में खलबली मची है। सच तो यह कि इसकी दस्तक के बीच जिम्मेदारों ने खामोशी की चादर ओढ़ ली है। निकाय चुनाव की आहट ने शहर के जिस क्षेत्र में नगर निगम, मलेरिया विभाग, जल निगम और क्षेत्रीय प्रतिनिधियों की उदासीनता का विद्रूप चेहरा दिखाया है, वह है आशियाना फेज-एक। चार महीने से सीवर लाइन बिछाने की सुस्ती की मार झेलने वालों को अब जल निगम की कार्य प्रणाली दुखी कर रही है। क्योंकि जमीन के भीतर पाइप बिछाने के दौरान के लीकेज से मुहल्ले में जलभराव की स्थित उत्पन्न हो गयी है। अधिकतर नालियां चोक हैं और सड़कों पर भरा पानी डेंगू के मच्छरों का सुरक्षित ठौर बन गया है। हालत यह है कि परेशान हाल लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है।
नगर निगम के चुनाव में वार्डों के आरक्षण की संभावित सूची से पार्षदों और दावेदारों के समीकरणों में उलट फेर दिख रहा है। सड़क पर जलभराव और ठहरे पानी में मच्छारों के प्रकोप से बचाने के लिए प्रशासन से गुहार लगाई। गुरुवार को ही विष्णु पार्क के कपिल कुमार, अनीता और पिंटू कपूर ने इस समस्या की जानकारी देने के लिए क्षेत्रीय पार्षद के सीयूजी नंबर 9105900618 पर फोन किया। लेकिन, नंबर बंद मिला। जानकार इसे वार्ड के आरक्षण के संकेत से जोड़कर देख रहे हैं। यानी कि इस उदासीनता को आरक्षण बदलने की आहट के बीच क्षेत्रीय पार्षद के रवैया बदलने से जोड़ कर देख गया।
अमर सिंह आर्य पार्क के सामने मुख्य सड़क पर गड्ढे में स्कूली वाहन फंसने के बाद मुहल्ले के लोगों का गुस्सा सामने आ गया। दो घंटे के प्रयास के बाद दलदल में फंसा स्कूली वाहन निकाला जा सका। उधर, हाईकोर्ट ने डेंगू की रोकथाम के उपाय तेज करने के सुझाव दिए हैं, जबकि शहर के कई क्षेत्रों में नालियां चोक हैं। आशियाना मुहल्ला तो जलभराव और गंदगी की बानगी भर हैं। ऐसे दो दर्जन से अधिक मुहल्ले हैं जहां लोग मच्छरों से जूझ रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को नजीर मानें तो हरथला और बुद्धि विहार क्षेत्र में डेंगू के मरीज मिलने का सिलसिला जारी है। ऐसे में हरथला के नजदीक स्थित आशियाना, रामगंगा विहार और नवीन नगर के लोग नगर निगम की सफाई के मुद्दे पर सुस्ती, जल निगम की सड़क खोदकर छोड़ देने और क्षेत्रीय पार्षदों की उदासीनता को लेकर हतप्रभ हैं। संकेत तो इस बात के हैं कि डेंगू की दस्तक के बीच जिम्मेदारों ने खामोशी की चादर ओढ़ ली है।
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