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गांधी परिवार को लेकर थरूर ने फिर दोहराई यह बात, मनीष तिवारी ने किया खरगे का समर्थन
कांग्रेस निर्वाचक मंडल के सदस्य का समर्थन जुटाने के लिए यहां पहुंचे थरूर ने बिहार प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि नेहरू-गांधी परिवार को दूर रखना कांग्रेस पार्टी के किसी भी अध्यक्ष की ओर से एक नासमझी भरा कदम होगा। उन्होंने कहा, मैं खुद भी ऐसा नहीं करना चाहूंगा। कांग्रेस नेता ने कहा, चुनाव लड़ने का फैसला करने के बाद मैं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से अलग-अलग मिला। उन सभी ने जोर देकर कहा कि पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव निष्पक्ष रूप से होगा और उनमें से किसी ने भी वरीयता का संकेत नहीं दिया।
थरूर ने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि नेहरू-गांधी परिवार पार्टी पर नियंत्रण बनाए रखना चाहता था और बताया कि राहुल गांधी 2017 में पांच साल के लिए पार्टी अध्यक्ष बने थे और वह जब चाहें अपना इस्तीफा वापस ले सकते थे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्षी खेमे का नेतृत्व करने के लिए एक विकल्प के रूप में देखे जाने से जुड़े सवाल को थरूर ने टाल दिया। उन्होंने कहा, हालांकि, मुझे यकीन है कि देश का भविष्य दांव पर है और हमें 2024 में भाजपा के खिलाफ अच्छी तरह से लड़ना चाहिए।
थरूर को नहीं मिला अपनों का भी सहारा
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में शशि थरूर फिलहाल उन नेताओं का भी समर्थन नहीं जुटा पा रहे हैं जो एक समय उनके साथ जी-23 गुट में साथ खड़े थे। थरूर भले ही राज्यों के नेतृत्व पर दबाव की बात कह रहे हैं, लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे को चुनाव में पार्टी नेताओं का खुला समर्थन मिल रहा है।
सांसद मनीष तिवारी ने पहले नामांकन में खरगे का प्रस्तावक बनकर और अब जी-23 में उनके साथी रहे शशि थरूर को नजरअंदाज कर दिया है। उन्होंने खरगे को बेहतर उम्मीदवार बताया है। मनीष ने ट्वीट कर कहा, खरगे के रूप में पार्टी को एक ऐसे अध्यक्ष की जरूरत है, जो पार्टी को स्थिरता प्रदान कर सके। खरगे ने अपने जीवन के 50 से ज्यादा साल कांग्रेस की सेवा में समर्पित किए हैं। वह पार्टी में सबसे निचले पदों से आगे बढ़कर यहां पहुंचे हैं। ऐसे में कांग्रेस को भी पार्टी के लिए सुरक्षित हाथों की जरूरत है।