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वाराणसी: रेलवे कर्मचारियों के लिए बनी तीन सरकारी कॉलोनियां एईएन कॉलोनी (कैंट मालगोदाम), लहरतारा कॉलोनी (लहरतारा पुल) और न्यू लोको कॉलोनी बदहाल हैं.
रखरखाव नहीं होने से कॉलोनी के फ्लैटों की दीवारों में दरार आ चुकी है. छत फट गई है. दरवाजे और खिड़कियों में दीमक लग गई है. कॉलोनी में जगह-जगह कूड़े का अंबार है. कई वर्षों से सफाई नहीं होने से नालियां चोक हो गई हैं. आधे घंटे की बारिश से कॉलोनी की ओर जाने वाले सभी मार्ग जलमग्न हो जाते हैं. निकासी व्यवस्था ध्वस्त होने से गंदा पानी घरों में घुस जाता है. इन कॉलोनियों में कर्मचारी से लेकर अधिकारी के परिवार रहते हैं. तीन कॉलोनी में लगभग 675 कमरे बने हैं. सबसे खराब हालत एईएन कॉलोनी की है. यहां रहने वाले हजारों कर्मचारी और उनके परिवार का हाल बुरा है. सहायक मंडल इंजीनियर आकाशदीप सिंह से जब इस बाबत बातचीत की गई तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने मेंटेंनेस के लिए आने वाले बजट की जानकारी पर चुप्पी साध ली.
दो साल से बजट नहीं
कॉलोनियों के रखरखाव के लिए पिछले दो साल से बजट नही आने का अफसर दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि वर्ष-19-20 में लगभग दो करोड़ रुपये मिले थे. उसके बाद से एक रुपया भी नहीं मिला. आउटसोर्सिंग से मरम्मत कराई जा रही है.
गड्ढा खोदकर चले गए
एईएन कॉलोनी की ओर जाने वाले सड़क के किनारे पर पत्थर बिछाने के लिए बजट आया था. उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन ने घटिया सामग्री का प्रयोग किये जाने का आरोप लगाया था. इसके बाद से काम बंद है.
अफसरों को कॉलोनी की मरम्मत के लिए पत्र लिखा गया. मेंटेंनस का पैसा अधिकारियों के बंगले पर खर्च कर रहे हैं.
-विंध्यवासिनी यादव, शाखा मंत्री, उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन