उत्तर प्रदेश

पति के सहयोग से टीबी रोगी महिला ने जीती जंग

Shantanu Roy
11 Sep 2022 6:18 PM GMT
पति के सहयोग से टीबी रोगी महिला ने जीती जंग
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बड़ी खबर
कानपुर। देश को वर्ष 2025 तक टीबी रोग मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने में जनपद के गोपाल नगर क्षेत्र की कामिनी पूरी तरह से जुटीं हैं। कामिनी ने अपने पति के सहयोग से पहले खुद टीबी से जंग जीती। अब टीबी चौम्पियन बनकर स्वयं के क्षय रोग से मुक्त होने की आप बीती सुनाकर टीबी रोगियों को उपचार एवं निवारण के लिए जागरूक कर रहीं हैं। साथ ही इससे बचाव के लिए आम लोगों को जागरूक कर रहीं हैं। साथ ही बता रहीं हैं की टीबी रोगी से किसी प्रकार का भेदभाव न करें बल्कि उसका सहयोग करें और मनोबल बढ़ायें।
कामिनी ने बताया कि उन्हें मई 2021 में लगातार एक हफ्ते से अधिक बुखार आया। जांच कराई तो उसमें मलेरिया या टाइफाइड कुछ नहीं निकला। इसके बाद उन्होंने इसको हलके में ले लिया। मन में था की कहीं यह टीबी के लक्षण तो नहीं पर समाज के डर से बलगम की जांच नहीं करवाई। एक दिन अचानक से जब खून की उल्टियां हुई तब फ़ौरन पति के साथ बलगम की जांच करवाई और उसमें टीबी निकला। इसकी पुष्टि के लिए प्राइवेट एक्स-रे कराया, जिसमें भी डॉक्टरों ने टीबी की पुष्टि की। क्षय रोग की पुष्टि होने पर कामिनी का मनोबल बिलकुल काम हो गया। कामिनी बताती हैं की इस मुसीबत में उनके पति ने उनका पूरा साथ दिया और इलाज शुरू करवाया। शुरुआत प्राइवेट इलाज से की पर जब बहुत महंगा लगा इलाज तब सरकारी गये और फिर कि नियमित रूप से लगातार छह माह तक दवा खाई। इसके बाद सातवें महीने में जांच कराई तो वह टीबी नेगेटिव हो चुकी थी। अब टीबी चौंपियन के रूप में काम कर रहीं हैं।
पूरे छः महीने के इलाज में नहीं गिरने दिया मनोबल
कामिनी कहती हैं की पूरे छह महीने में मेरे पति ने कहीं भी मेरा साथ नहीं छोड़ा। वह मेरा आत्मविश्वास बढ़ाते रहे। इसलिये अब कामिनी भी क्षयरोगियों को संदेश देती हैं कि टीबी की दवा समय से जरूर लें। टीबी के मरीजों से भेदभाव नहीं बल्कि मानसिक तौर पर मरीजों का सहयोग करें । मरीजों के इलाज में हरसंभव सहयोग करें। इलाज के समय गुटखा, शराब सहित अन्य कोई नशा न करें। बल्कि पौष्टिक भोजन करें। इसके साथ ही चिकित्सक की सलाह को ध्यानपूर्वक अमल करने के लिए प्रेरित करती हैं । वह बताती हैं कि सरकारी अस्पताल से मिलने वाली उच्च गुणवत्ता की दवाओं के सेवन से छह माह में ही रोग से मुक्त हो सकते हैं।
सहयोगी संस्था वर्ल्ड विज़न के जिला समन्वयक राम राजीव सिंह बताते हैं कि टीबी को लेकर लोगों में व्याप्त भ्रांतियों को भी दूर करने की उनकी कोशिश जारी है। उन्होंने बताया की कामिनी मरीजों के साथ भावनात्मक रूप से भी जुड़ाव रखती हैं। दृढ़ इच्छा शक्ति और नियमित इलाज से बीमारी को मात दिया जा सकता है यह आत्मविश्वास भी वह जगा रहीं हैं। उन्होंने कहा कि टीबी रोगियों के प्रति भेदभाव को रोकने के लिए जन सहभागिता बहुत जरूरी है। इसमें जिलेवासियों का सहयोग मील का पत्थर साबित होगा।
सरकारी इलाज लेने में ही समझदारी
जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया की जनपद में निःशुल्क टीबी जांच की सुविधा और निःशुल्क दवा वितरण की भी व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि बिना सोचे समझे व बिना सही जांच के प्राईवेट अस्पताल के महंगे इलाज के चक्कर में न पड़ें। इसलिए शुरूआत से सरकारी इलाज लेने में ही समझदारी है। यह न सिर्फ़ निशुल्क बल्कि कारगर भी है।
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