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- सांठा जुलूस में...
म-ए-आशूरा ( 10वीं मोहर्रम) को शहर में सांठा जुलूस निकाला जाता है।लगभग डेढ़ सौ साल पुराने इस जुलूस में शामिल मातमदारों ने सारी शहिदाने कर्बला की याद में मातम करते हुए अपना सीना खून की तरह लाल कर लिया। सांठा जुलूस में ताज़िया और अलम शामिल हुए।
शहर के ताल्लुकेदार कहे जाने वाले इदरीस मियां ने लगभग डेढ़ सौ साल पहले सांठा जुलूस की नींव रखी थी। तब से अभी तक लगातार यौम-ए-आशूरा (10 वीं मोहर्रम) के 60 दिन बीतने के बाद सांठा जुलूस निकाला जाता है। रविवार की शाम को इमामबाड़ा बारगाहे हुसैनी से निकाला गया ताज़िया व अलम का जुलूस इमामबाड़ा सकीना बेगम हो कर मोमिनाबाद चौराहा पर ठहर गया।
जुलूस में अंजुमन-ए-सज्जादिया पियाबाग पिहानी, अंजुमन-ए-हुसैनिया पिहानी और शहर की अंजुमन तंज़ीम-ए-जाफरी के नौहेख्वानों ने नौहे पढ़े और मातमदारों ने मातम किया। नौका,'बुझ गई प्यास चचा,लौट के घर में आओ,पूरी कर दो ये दुआ,लौट के घर में आओ…' पर हर सुबक-सुबक कर रो रहा था।
रात के तीसरे पहर को जुलूस मातम करते हुए पिहानी चुंगी कर्बला पहुंचा। जहां पर विदाई नौहे के साथ ताज़िए को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। सांठा जुलूस की इंतज़ामिया कमेटी के सैय्यद शबाहत हुसैन,शानू यूसुफ,सैय्यद ज़मीर हुसैन,आसिम हुसैन और कमर अब्बास मौजूद रहे।
न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar