उत्तर प्रदेश

'पराली दो-खाद लो' योजना शुरू, जानिए किसानों को मिलेगा क्या फायदा

jantaserishta.com
13 Nov 2021 8:24 AM GMT
पराली दो-खाद लो योजना शुरू, जानिए किसानों को मिलेगा क्या फायदा
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Pollution Increases Due To Stubble Burning: प्रदूषण को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 'पराली दो-खाद लो' योजना शुरू की है. इस योजना के ज़रिए यूपी सरकार किसानों से पराली लेगी और उसके बदले उन्हें खाद दिया जाएगा. किसानों से एकत्र की गई पराली का गोशालाओं में चारे के रूप में प्रयोग किया जाएगा. बची हुई पराली से खाद भी बनाई जाएगी. पराली को लेकर होने वाले विवाद और इसको जलाने से वातावरण को नुकसान को देखते हुए यूपी सरकार की ये योजना राहत भरी हो सकती है.

अपर मुख्य सचिव, कृषि डॉ देवेश चतुर्वेदी ने सभी जिलाधिकारियों को इसके लिए पत्र लिखा है. उन्होंने इस बात के आदेश जारी किया है कि फसल अवशेष और पराली को किसानों द्वारा जलाने से रोकने और उसके सदुपयोग के लिए ज़िले में संचालित गोशालाओं की मदद ली जाए. संरक्षित गोवंश के गोबर से बनी खाद को पराली से बदला जाए. किस-किस किसान को पराली के बदले खाद दी गई इसका भी पूरा ब्योरा रखा जाएगा. ग्राम समिति को इसकी जिम्मेदारी दी जाए. इस आदेश के बाद ज़िला प्रशासन ने इस पर कार्य शुरू कर दिया है.
श्रावस्ती ज़िले में इस पर कार्य करने वाले CDO ईशान प्रताप सिंह बताते हैं कि अभी तक ज़िले में 77 टन पराली किसानों से ली गई है. ज़िले की सभी 38 गोशालाओं को इससे जोड़ा जा रहा है. जो भी किसान हमसे सम्पर्क कर रहे हैं उनको ये सुविधा दी जाएगी. 5 टन पराली के बदले में 1 टन खाद दिया जा रहा है. इसी तरह सभी ज़िलों में पराली प्रबंधन किया जाएगा जिसमें कुछ बदलाव स्थानीय स्तर पर हो सकते हैं.
दूसरे राज्यों में प्रदूषण और प्रणाली जलाने की खबरों के बीच यूपी सरकार ने किसानों के लिए ये ख़ास योजना बनाई है. जिससे किसानों को अपने खेतों में पराली न जलानी पड़े. पराली के बदले उनको कुछ मिल भी सके. किसानों से ये भी अपील की जा रही है कि वह धान की कटाई के लिए मशीनों का प्रयोग करें. मशीनों के प्रयोग से काफी कम समय में जहां फसल की कटाई हो जाती है तो वहीं पराली का प्रबंध भी होता है. किसान पराली को खेत में ही जला देते हैं. किसान अपने खेत की पराली देने के लिए ज़िले के ग्राम पंचायत सचिव, पशु चिकित्साधिकारी और किसान सहायक से सम्पर्क कर सकते हैं. वहीं उन्नाव ने भी शुरुआती दौर में ही इस योजना पर काम करते हुए किसानों से पांच हज़ार टन पराली ली है. यहां दो ट्रॉली पराली के बदले में एक ट्रॉली खाद दिया जा रहा है. स्थानीय गोशलाओं में ही चारे के अलावा पराली के कुछ हिस्से को डी-कम्पोज़ करके खाद बनाया का रहा है.
उन्नाव ने किसानों को जागरूक करने के लिए पंचायत स्तर पर गोष्ठियों का आयोजन भी शुरू कर दिया है. यहां दो तरह के कर्मचारियों को गोशालाओं की मैपिंग के साथ किसानों तक ये बात पहुंचाने की ज़िम्मेदारी भी दी गई है. कृषि तकनीकी सहायक और ATMA योजना के तहत संविदा पर रखे कर्मचारी किसानों से सम्पर्क कर न सिर्फ़ इस योजना की जानकारी दे रहे हैं बल्कि किसानों को ये भी समझाया जा रहा है कि अगर वो खेत में ही पराली से खाद बनाना चाहें तो कैसे बना सकते हैं. अब तक उन्नाव में किसानों से 785 क्विंटल पराली ली गई है और 300 क्विंटल खाद भी उनको दिया गया है.
उप निदेशक कृषि मुकुल तिवारी कहते हैं "किसानों में जागरूकता के लिए भी काम किया जा रहा है. इससे किसानों को लाभ होगा. किसानों से पराली लेने के अलावा उनके ही खेत में पराली से खाद बनाना भी बताया जा रहा है. इससे किसानों को लाभ मिलेगा. लेकिन जब तक वो ऐसा नहीं करते हम उनके खेतों की पराली लेंगे. बदले में खाद देंगे."
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