उत्तर प्रदेश

स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव हारे

jantaserishta.com
10 March 2022 9:21 AM GMT
स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव हारे
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UP Election result 2022: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए 10 मार्च यानी आज मतगणना जारी है. मतगणना से पहले अधिकतर राजनीतिक जानकारों का कहना था कि विधानसभा चुनाव में समाजावदी पार्टी और बीजेपी के बीट कांटे की टक्कर है, लेकिन अब तक के रुझानों में ऐसा होता नहीं दिख रहा. बीजेपी 250 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि सपा 150 के अंदर सिमटी नजर आ रही है. हालांकि इस बार सपा और बीेजेपी के कई दिग्गज नेता चुनाव में पिछड़ते जा रहे हैं.

वहीं दूसरी ओर कुशीनगर की फाजिलनगर विधानसभा से पूर्व कैबिनेट मंत्री और सपा प्रत्याशी स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए है. सपा ने इस बार फाजिलनगर से चुनावी मैदान में उतारा था, जबकि वह इससे पहले पडरौना से तीन बार चुनाव जीत चुके थे. बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद से स्वामी प्रसाद मौर्य ने लगातार योगी और मोदी सरकार के खिलाफ प्रचार किया.



उत्तर प्रदेश में रुझानों में बीजेपी को बढ़त हासिल होने के बाद से जश्न का माहौल है. रुझानों के हिसाब से प्रदेश में बीजेपी की फिर से वापसी हो रही है. गुरुवार को सुबह 8 बजे मतगणना शुरू होने के बाद ही बीजेपी खेमे में उत्साह देखा जा रहा है. यूपी में बीजेपी की वापसी को लेकर इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि लोगों ने योगी सरकार के किस काम को लेकर वोट किया. क्या पीएम मोदी का चेहरा एक ब्रांड के तौर पर पेश किया गया. कानून-व्यवस्था को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ की रणनीति कितनी काम आई. विकास का मुद्दा लोगों के लिए कितना अहम रहा. इसके साथ ही गरीबों को फ्री राशन देने की सरकार की योजना ने वोटरों के मन को कैसे बदल दिया. प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी के भाषणों से पार्टी को कितना फायदा हुआ?
बीजेपी ने कोरोना महामारी के दौरान गरीबों को फ्री राशन बांटने का काम किया. चुनाव प्रचार के दौरान कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फ्री राशन बांटने के मुद्दे पर बोलते दिखे. जिसका लोगों पर शायद सीधा असर पड़ा. चुनाव विश्लेषकों की मानें तो मुफ्त राशन और डायरेक्ट बेनिफिट का सीधा फायदा विधानसभा चुनाव के दौरान दिखा. कोरोना महामारी के दौरान बीजेपी ने फ्री राशन बांटे जिसने जनता को सबसे अधिक बीजेपी के प्रति आकर्षित और प्रभावित किया. जनधन खाता धारक महिलाओं को तीन महीने 500 रुपये के हिसाब को पैसे भेजे गए जिसका भी इस चुनाव पर असर दिखा. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत लाभार्थी किसानों के खाते में हर चार महीने पर 2 हजार रुपये यानी सालाना 6 हजार रुपये केंद्र सरकार भेज रही है. प्रधामंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को मकान बनाने के लिए 2.5 लाख रुपये आवंटित किए गए. ऐसे परिवारों की तादाद भी काफी संख्या में है जिन्होने पीएम आवास योजना का लाभ उठाया. आम लोगों और गरीबों को डायरेक्ट बेनिफिट मिलने से बीजेपी के वोटों में विपक्षी पार्टियां सेंध लगाने में नाकाम रहीं.
यूपी में फिर से बीजेपी की सरकार बनने जा रही है. ज्यादातर एग्जिट पोल में भी बीजेपी की ही दोबारा सरकार बनाने का दावा किया गया था. इस बात की भी चर्चा हो रही है कि क्या इस बार लोगों ने योगी के कानून-व्यवस्था को लेकर वोट किया? चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, खुद सीएम योगी समेत कई नेताओं ने प्रदेश की कानून व्यवस्था की तुलना पहले के विपक्षी दलों के शासन से की. कानून-व्यस्था के मुद्दे को जनता के सामने रखा और लोगों को शायद ये समझाने में कामयाब रहे कि योगी की सरकार में कानून-व्यवस्था कितनी दुरुस्त है. योगी सरकार में लैंड माफिया समेत कई अपराधों में शामिल अपराधियों के घर पर चले बुल्डोजर को चुनावी रंग दिया गया. सीएम योगी आदित्यनाथ ने ज्यादातर रैलियों में इस बात का जिक्र किया कि गुंडो और माफियाओं के खिलाफ सरकार का एक्शन जारी रहेगा. कानून के साथ-साथ महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया गया. ऐसे में लोगों के मन में बीजेपी ने ये धारणा बनाने की पूरी कोशिश की प्रदेश में कानून का राज है.
यूपी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ब्रांड नाम भी शायद काम आया है. पीएम मोदी के चेहरे ने वोटरों को काफी लुभाया. चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने योगी सरकार की तुलना पिछली सरकारों से कर जनता का विश्वास बनाने में कामयाब रहे. यूपी में बीजेपी को मिली जीत ने एक बार फिर ये साबित किया है कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता अभी बरकरार है. सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं के लाभार्थी उनके साथ खड़े दिखे. पीएम मोदी ने प्रचार के दौरान ज्यादातर भाषणों तीन तलाक, अपराध, माफिया राज के खात्मे का जिक्र किया. गरीबों को राशन और डबल इंजन की सरकार के फायदे गिनाकर जनता को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश की थी जिसका शायद फायदा भी मिला. पीएम मोदी परिवारवाद पर हमला करते हुए विपक्षियों को कठघरे में खड़ा किया. लोगों को ये समझाने की कोशिश की गरीबों का सशक्तिकरण ही बीजेपी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.
उत्तर प्रदेश जहां देश में आबादी के नज़रिए से सबसे बड़ा प्रदेश तो है ही साथ ही सियासी तौर पर भी इसे काफी अहम माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि दिल्ली की सत्ता हासिल करने का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर निकलता है. ऐसे में एक बार फिर प्रदेश में बीजेपी का सत्ता में आना देश की राजनीति की दिशा बदल सकती है. इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 325 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था. इसके बाद पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को सत्ता की चाबी सौंपी थी.

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