उत्तर प्रदेश

सूरत-ए-हालप्लांट सक्रिय, फिर भी प्रयोग किए जा रहे हैं ऑक्सीजन सिलेण्डर

Admin Delhi 1
27 May 2023 12:45 PM GMT
सूरत-ए-हालप्लांट सक्रिय, फिर भी प्रयोग किए जा रहे हैं ऑक्सीजन सिलेण्डर
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फैजाबाद न्यूज़: कोरोना के दूसरे चरण में जब ऑक्सीजन की कमी से धड़ाधड़ मरीजों की मौत हो रही थी तो सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च करके सरकारी अस्पतालों ऑक्सीजन प्लांट लगवा दिए. कोरोना के दौर में ये प्लांट काम आए लेकिन धीरे-धीरे इनका उपयोग बंद हो गया. वर्तमान में जिला अस्पताल अयोध्या में 2021 में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट क्रियाशील है पर दिन में दो घंटे ही चलाया जाता है. जिला अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को पुरानी व्यवस्था के तहत सिलेंडर से ही ऑक्सीजन दी जा रही है.

जिला अस्पताल के अधिकारी ऑक्सीजन प्लांट के ऐक्टिव रहने का दावा करते हैं. लेकिन अभी अधिकतर मरीजों को सिलेण्डर से ही ऑक्सीजन दी जाती हैमध्याह्न करीब 12 बजे जब इसकी पड़ताल की तो जिला अस्पताल में लगा ऑक्सीजन प्लांट बंद था और उसमें ताला लगा हुआ था. यहां ऑक्सीजन प्लांट सात अक्टूबर 2021 को शुरू हुआ था. जिला अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में कार्यरत एक वरिष्ठ नर्स इन्दिरा राय का कहना था कि जब अधिक मरीज आते हैं तो सेंट्रल पाइप लाइन से ऑक्सीजन चालू कराईजाती है, वरना सिलेण्डर से ही मरीजों को आक्सीजन दी जा रही है. जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बीती रात लालकुर्ती की निवासी तारा भर्ती हुईं थीं. तारा के अनुसार उन्हें सुबह को सिलेण्डर से ऑक्सीजन दी गईथी. इसी तरह इसी वार्ड में भर्ती बब्बो निवासी अब्बूसराय ने बताया कि उन्हें की रात को सांस की समस्या थी तो डाक्टर ने सिलेण्डर से ऑक्सीजन दिलाई है. वहीं जिला अस्पताल के जनरल वार्ड में ऑक्सीजन के दो बड़े और दो छोटे सिलेण्डर रखे थे.

इसमें फुल लिखी तख्ती लटकी थी. फीमेल सर्जिकल वार्ड में एक बड़ा और दो छोटे सिलेण्डर रखे थे. यहां दीवार पर चस्पा था कि फुल आक्सीजन सिलेण्डर. यहां भी मरीजों को सिलेण्डर से आक्सीजन दी जा रही है. जबकि जिला अस्पताल के इमरजेंसी और फीमेल सर्जिकल वार्ड में ऑक्सीजन की सेंट्रल पाइप लाइन लगी हुईहै. लेकिन यह बंद पड़ी है.

सीएचसी मसौधा में ऑक्सीजन प्लांट से मरीजों को दी जा रही राहत

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मसौधा पर कोरोना कॉल में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए के एम शुगर मिल मसौधा ने अगस्त 2021 में बतौर उपहार यहां 35 लाख रुपए का ऑक्सीजन प्लांट लगवाया था. इस प्लांट से करीब 200 मरीजों को 24 घंटे अनवरत ऑक्सीजन मिलने की सुविधा है. यहां 30 बेड हैं. जब मरीजों की आवश्यकता होती है तभी ऑक्सीजन प्लांट सक्रिय होता है. माह में एक बार टेक्नीशियन जांच करते हैं. इसके संचालन पर 10-12 लीटर प्रति घंटा डीजल लगता है जिसकी व्यवस्थ सीएचसी करता है.

आंतरिक सप्लाई के लिए लगाया गया है ऑक्सीजन प्लांट

पूरा बाजार संवाददाता के अनुसार सीएचसी पूरा बाजार में आंतरिक सप्लाई के लिए ऑक्सीजन प्लांट लगा है. सीएचसी अधीक्षक डॉ. अमित वर्मा ने बताया कि कुल 30 बेड पर ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था है जिसमें आठ बेड पीआईसीयू के लिए व दो बेड एचडीयू की व्यवस्था है. ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण विधायक निधि से वेद प्रकाश गुप्ता ने कराया था. इसमें लगभग 50 लाख रुपए खर्च हुआ था. इसके मेंटेनेंस पर आठ हजार रुपए खर्च होता है. ऑक्सीजन प्लांट की सप्लाई बराबर चल रही है.

ऑक्सीजन प्लांट लगा लेकिन एक दिन भी नहीं चला

अयोध्या. श्रीराम अस्पताल में कोरोना काल में लगा ऑक्सीजन प्लांट एक दिन भी नहीं चला. अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी वाईपी सिंह के मुताबिक अस्पताल को प्राइवेट कंपनी बजाज एलाइंस ने ऑक्सीजन मशीन दान दी थी. लेकिन मशीन लगने के बाद जब उसे चलाया गया तो वो चली ही नही. कंपनी ने दावा किया था कि 80 मरीजों को एक साथ ऑक्सीजन सप्लाई करने की क्षमता इस मशीन में है, लेकिन बाद में 10 मरीज के ऑक्सीजन सप्लाई की बात आई. मशीन न चलने की दशा में कंपनी के लोगों से काफी पत्राचार किया गया लेकिन उन्होंने कहा कंपनी का काम लगवाना है बनवाना नहीं है. उन्होंने बताया इसके पार्ट्स चाइनीज हैं, जो यहां मिलते नहीं है. इसलिए यह निष्प्रयोज्य है.

-जिला अस्पताल में पीएम केयर से ऑक्सीजन प्लांट 2021 में लगा था.

-सभी ऑक्सीजन प्लांट क्रियाशील हैं, प्रतिदिन दो घंटे चलाया जाता है.

-ऑक्सीजन प्लांट लगने के बाद भी सिलेण्डर की खपत में कमी नहीं आई है.

-जिला अस्पताल के ऑक्सीजन प्लांट में 960 कि.ली. प्रति घंटा उत्पादन क्षमता है.

-24 घंटे ऑक्सीजन प्लांट चलाने पर 5000 रुपए बिजली का खर्च आता है.

इस समय श्रीराम अस्पताल को छोड़कर बाकी सभी जगह ऑक्सीजन प्लांट क्रियाशील हैं. अब अलग-अलग अस्पताल में क्या जरूरत है उसी के अनुसार संचालित किया जाता है.

डा. ए.राजा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अयोध्या.

जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट पीएम केयर से लगा है. दो घंटे प्रतिदिन चलता है. दो तीन दिन में 15-20 सिलेण्डर लगता है. सुरक्षित दोनो है. अधिक मरीज होने पर ही ऑक्सीन प्लांट चलाया जाता है.

डॉ.सीबीएन त्रिपाठी, सीएमएस जिला अस्पताल

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