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एम्स के अध्ययन में पाया स्पाइन टीबी गर्दन के ऊपरी हिस्से में है तो इससे मौत का भी खतरा
आगरा न्यूज़: किसी भी तरह की टीबी का पुख्ता इलाज जरूरी है. अन्यथा यह गंभीर अवस्था में पहुंच सकती है. स्पाइन टीबी हो सकती है. फेफड़ों की टीबी वाले कुल मरीजों का एक प्रतिशत को स्पाइन टीबी से ग्रसित है. एम्स दिल्ली के अध्ययन में यह सामने आया है.
होटल जेपी पैलेस में वर्ल्ड फेडरेशन आफ न्यूरो सर्जिकल सोसायटी का फाउंडेशन एजुकेशन कोर्स के समापन समारोह के दौरान एम्स दिल्ली के टीबी विशेषज्ञ डा. एसएस काले ने बताया कि टीबी का संक्रमण दिमाग और स्पाइन में भी पहुंच सकता है. स्पाइन टीबी अगर गर्दन के ऊपरी हिस्से में है तो इससे मौत का भी खतरा रहता है. पीठ, कमर, गर्दन की हड्डियों में दर्द इसके शुरुआती लक्षण हैं. कई बार रीढ़ का मनका गल भी जाता है. इसे टाइटेनियम, स्टील, पीक, पाली इलीथीन से बदला जाता है. देशी पार्ट्स 50 हजार और विदेशी दो लाख में मिलते हैं. जापान के डा. अक्यो मोरिता ने बताया कि रोबो सर्जरी के दौरान नर्व डैमेज घातक है. आर्टीफिशियल इंटेलीजेंसी बहुत जरूरी है.
माइक्रो रोबोट्स आने वाले हैं आयोजन अध्यक्ष डा. आरसी मिश्रा ने बताया कि ब्रेन की समस्या का असर पूरे शरीर पर पड़ सकता है. इसलिए सर्जन के सामने सर्जरी के बाद होने वाली दिक्कतों के कम या खत्म करने की चुनौती है. पारस अस्पताल दिल्ली के डा. वीके मेहता ने बताया कि एमआरआई, सीटी स्कैन, एडवांस माइक्रोस्कोपी के बाद अब माइक्रो रोबोट्स आने वाले हैं. डा. सुमित सिन्हा ने बताया कि छोटे चीरे से 15 एमएम की बड़ा ट्यूमर निकाला जा सका है. आबू धावी के डा. फ्लोरियन रोजर, इटली के डा. फ्रेंको सर्वेदेई, आयोजन सचिव डा. अरविंद अग्रवाल ने भी व्याख्यान दिए.