उत्तर प्रदेश

दिमाग की चोट से दूर हो रही थी रीढ़ की हड्डी, मिला जीवनदान

Admin Delhi 1
1 Aug 2023 3:12 AM GMT
दिमाग की चोट से दूर हो रही थी रीढ़ की हड्डी, मिला जीवनदान
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गोरखपुर न्यूज़: गगहा के रहने वाले विनोद यादव को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में नया जीवन मिला है. छह साल पहले पहलवानी के दौरान गर्दन में लगी चोट उनके लिए जानलेवा बन गई थी. इसके कारण सिर की हड्डी से गर्दन की हड्डी के बीच दूरी बढ़ती जा रही थी. उन्हें चक्कर आ रहे थे. शरीर पर नियंत्रण खत्म होता जा रहा था. इसके कारण दुबई में उनकी नौकरी भी छूट गई. आनन-फानन में परिजनों ने उन्हें वापस बुलाया और इलाज कराया. अब सर्जरी के बाद वह चल रहे हैं और संतुलन भी बना पा रहे हैं.

यह सर्जरी न्यूरो सर्जन डॉ सतीश नायक और डॉ आनिन्दय गुप्ता की टीम ने किया. डॉ नायक ने बताया कि इस बीमारी को एटलांटो एक्जियल डिस्लोकेशन (एएडी) कहते हैं. मेडिकल कॉलेज में पहली बार एएडी की सर्जरी की गई. उन्होंने बताया कि यह एक जटिल सर्जरी है. इसमें चोट की वजह से दिमाग की हड्डी और रीढ़ की हड्डी के बीच में दूरी बढ़ती जा रही थी. इससे रीढ़ की हड्डी से गुजरने वाली नसों पर दबाव बढ़ रहा था. यह नसें ही शरीर को नियंत्रित करती हैं. इसके इलाज के लिए रीढ़ की पहली व दूसरी हड्डी को पेच से कसा जाता है. बीते को करीब चार घंटे चली सर्जरी के बाद मरीज की हालत में काफी सुधार है. डॉ नायक ने बताया कि इस सर्जरी में एनेस्थीसिया की अहम भूमिका रहती है. यही वजह रही कि बेहोशी में डॉ अभय, डॉ अंशुमान, डॉ प्राची व डॉ कीर्ति की टीम मौजूद रही. ऑपरेशन के दौरान पवन, रंजना, दिव्या रानी, प्रियंका और सोनिया ने सहयोग किया.

बीआरडी के न्यूरो विभाग में एएडी जैसी सर्जरी सफलतापूर्वक हुई है. पहले यह सर्जरी दिल्ली या मुम्बई में होती थी. इस सर्जरी में लगने वाले सहायक उपकरण बीआरडी में मौजूद हैं. मरीजों को बाहर नहीं जाना होगा.

- डॉ. गणेश कुमार, प्राचार्य

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