- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- नवजात बच्चों को मौत से...
प्रतापगढ़ न्यूज़: डॉक्टरों का मानना है कि ट्रेनिंग पूरी होते ही चौंसठ कर्मचारियों की यह टीम स्पेशल-64 बनकर नवजात बच्चों को मौत से बचाएगी.
एसएनसीयू वार्ड के डॉक्टरों का कहना है कि प्रसव के समय बच्चों के अंग बन रहे होते हैं. ऐसे में उनकी बीमारी पहचानना आसान नहीं होता. सीएचसी, पीएचसी व कई निजी अस्पतालों में प्रसव कराने वाले कर्मचारी इतने ट्रेंड नहीं होते कि वे पैदा होते ही लक्षण के आधार पर बच्चे की बीमार पहचान लें.
बच्चों का शरीर इतना विकसित नहीं हुआ होता कि वे अपनी पीड़ा व्यक्त कर पाएं. ऐसे में बीमारी की पहचान कर उन्हें एसएनसीयू वार्ड या हायर सेंटर भेजने में काफी देर हो जाती है. ऐसे में कई बच्चों की मौत भी हो जाती है. ऐसी मौतों की संख्या कम करने के लिए स्टाफ नर्स, जीएनएम व एएनएम को स्किल बर्थ अटेंडेंट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इनकी ट्रेनिंग में इस पर अधिक जोर दिया जा रहा है कि बच्चे के पैदा होते ही उसकी बीमारियों की पहचान करें और कैसे सुरक्षित तरीके से बच्चे को एसएनसीयू या हायर सेंटर पहुंचाने की व्यवस्था करें. डॉक्टरों का मानना है कि उक्त प्रशिक्षण नवजात बच्चों की जान बचाने में बहुत उपयोगी साबित होगा, इसलिए वे उक्त प्रशिक्षण लेने वाले स्वास्थ्यकर्मियों की टीम को स्पेशल-64 कहकर बुला रहे हैं.
आठ बैच में 2024 तक पूरी होगी ट्रेनिंग
एसएनसीयू में तैनात डॉ. आरके पांडेय इसके मास्टर ट्रेनर बनाए गए हैं. उनका कहना है कि 2024 तक 8 बैच ट्रेनिंग चलेगी. एक बैच में 8 कर्मचारी ट्रेनिंग लेंगे. पहली बैच की ट्रेनिंग पूरी हो गई. दूसरा बैच शुरू होगा. प्रत्येक बैच की ट्रेनिंग में 5 दिन थ्योरी और 16 दिन प्रैक्टिकल कक्षाएं चलेंगी.
दूर-दराज के इलाकों में प्रसव कराने वाले स्वास्थ्यकर्मी कई बार यह नहीं पहचान पाते कि बच्चा बीमार है या ठीक है. जब तक उन्हें बीमारी का पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है. इसलिए 64 कर्मचारियों को नई ट्रेनिंग देकर ऐसी टीम बनाई जा रही है जो प्रसव के समय बच्चों की बीमारी पहचान कर समय पर व सुरक्षित तरीके से उन्हें एसएनसीयू पहुंचाना सुनिश्चित करेगी.
-डॉ. आरके पांडेय, एसएनसीयू