उत्तर प्रदेश

OP राजभर को मिली 'Y' श्रेणी की सुरक्षा पर सपा ने साधा निशाना, कहा- अखिलेश पर हमलावर रहने का मिला इनाम

Shantanu Roy
22 July 2022 11:04 AM GMT
OP राजभर को मिली Y श्रेणी की सुरक्षा पर सपा ने साधा निशाना, कहा- अखिलेश पर हमलावर रहने का मिला इनाम
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश शासन ने समाजवादी पार्टी (सपा) के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर को 'वाई श्रेणी' की सुरक्षा प्रदान की है। सुभासपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरुण राजभर ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की। राजभर को 'वाई श्रेणी' सुरक्षा मिलने के बाद सपा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से राजभर की नजदीकी बढ़ने का आरोप लगाते हुए आक्रामक हो गई है। राष्ट्रपति चुनाव में राजभर की पार्टी की सपा से दूरी बढ़ने और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के कुछ दिनों बाद यह घटनाक्रम सामने आया, जो अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को पराजित कर विजयी हुईं। राजभर को सुरक्षा प्रदान किये जाने के बाद सपा ने तंज करते हुए दावा किया कि राजभर को सपा के खिलाफ हालिया बयानबाजी के लिए इनाम दिया गया है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश शासन के गृह विभाग के संयुक्त सचिव विनय कुमार सिंह की ओर से अपर पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा) को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि गाजीपुर जिले के जहूराबाद क्षेत्र के विधायक और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को राज्य स्तरीय समिति की आगामी बैठक में होने वाले निर्णय की प्रत्याशा में 'वाई श्रेणी' की सुरक्षा अंतरिम रूप से प्रदान कराये जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने इस मामले में एडीजी से औपचारिकता पूरी करने की अपेक्षा की है। 'वाई श्रेणी' सुरक्षा में 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं जिसमें दो पीएसओ (निजी सुरक्षा गार्ड) भी होते हैं। शासन द्वारा व्यक्ति की सुरक्षा का आकलन करने के बाद उन्हें उसी आधार पर सुरक्षा मुहैया कराई जाती है।
इस सिलसिले में सपा के वरिष्ठ नेता आईपी सिंह ने कहा, ''राजभर सपा नेतृत्व के खिलाफ जिस तरह की बयानबाजी कर रहे थे, उस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन्हें इनाम दिया है।'' सिंह ने कहा, ''योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दोबारा सरकार बनने के बाद से ही राजभर भाजपा के संपर्क में थे और सपा के सभी वरिष्ठ लोग इस बात को जानते थे, इसलिए सपा अलर्ट मोड में रही।'' राजभर की पार्टी द्वारा मुर्मू के पक्ष में मतदान का जिक्र करते हुए वरिष्ठ सपा नेता उदयवीर सिंह ने कहा, ''जब वह (राजभर) सरकार की मदद करेंगे, तो यह (सरकार) भी उनकी मदद करेगी, यह राजनीतिक शिष्टाचार है।'' उदयवीर ने तंज किया, ''अगर उन्हें (राजभर) यही करना था तो वह हमारी पार्टी और नेतृत्व के खिलाफ इतने आरोप क्यों लगा रहे थे।
राजभर को सुरक्षा की जरूरत थी और सपा भी चाहती थी लेकिन भाजपा सरकार ने पहले उन्हें सुरक्षा नहीं दी तो यह किसकी गलती है।'' आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की हार के बाद सपा प्रमुख अखिलेश पर कटाक्ष करते हुए राजभर ने कहा था, ''जिस पार्टी के नेता चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लेते हैं, उससे आप किस तरह के मुकाबले की उम्मीद कर सकते हैं?'' राजभर ने अखिलेश यादव को लोगों के बीच जाने और वातानुकूलित कमरे से राजनीति नहीं करने की सलाह दी थी। उन्होंने यहां तक कहा था कि अखिलेश अपने पिता (मुलायम सिंह यादव) की कृपा से ही मुख्यमंत्री बने हैं और उनकी पार्टी ने 2014 के बाद से उनके (अखिलेश यादव) नेतृत्व में कोई चुनाव नहीं जीता है।
सुभासपा प्रमुख ने शुक्रवार को जोर देकर पत्रकारों से कहा कि वह सपा गठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे और अखिलेश यादव की तरफ से अगर कोई 'तलाक' आएगा तो वह कबूल कर लेंगे, लेकिन अपनी तरफ से अलग नहीं होंगे। उन्होंने विकल्प बताते हुए यह जरूर कहा कि अगर सपा से गठबंधन टूटेगा तो वह बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन की पहल करेंगे। इस बीच प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि राजभर को सुरक्षा देने को राष्ट्रपति चुनाव से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा के साथ गठबंधन में हाल के राज्य विधानसभा चुनाव में राजभर की पार्टी ने छह सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन चुनाव बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव से राजभर की दूरी बढ़ती गई।
अखिलेश यादव ने इस महीने की शुरुआत में सिन्हा के समर्थन में लखनऊ में बुलाई गई बैठक में राजभर को आमंत्रित नहीं किया, जबकि सपा के एक अन्य सहयोगी और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रमुख जयंत चौधरी ने इसमें भाग लिया था। इसके बाद राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बजाय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया। 2017 के विधानसभा चुनाव में राजभर ने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गठित पहली सरकार में मंत्री पद की शपथ ली थी। बाद में राजभर ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था।
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