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त्रेयता में ही नहीं कलियुग में भी मौजूद है श्रवण कुमार
सासनी: इस युग में भी श्रवण कुमारों की कमी नहीं है, बस लोगों के देखने का नजरिया थोडा अलग है। सासनी निवासी एक माता पिता के तीन बेटों और बहुओं ने अपना पुत्र धर्म निभाते हुए श्रवण कुमार बनकर बूढ़े मां-बाप को अपने कंधों पर उठाकर 150 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर सासनी किला स्थित वीलेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक कराया।
श्रावण मास पावन माह है, कहा जाता है इस महीने में भगवान शिव की अराधना करने से हर मुश्किल दूर हो जाती है। इस संसार में कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो अपने मां-बाप को ही परमपिता परमेश्वर मानते हैं। और ऐसे लोगों से भगवान भी खुश रहते हैं। हरी नगर कॉलोनी निवासी 75 वर्षीय बदन सिंह बघेल अपनी पत्नी अनार देवी और तीन बेटों के साथ रहते हैं। बदन सिंह नेत्रहीन है। ऐसे में उन्होंने अपने बेटों से गंगा स्नान की इच्छा जाहिर की। जिसके बाद उनके तीनों बेटे रमेश, विपिन और योगेश अपने पिता को रामघाट में गंगा स्नान कराने लेकर गए। पिता और माता को गंगा स्नान कराने के बाद पुत्र कावड़ में बैठाकर 150 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर सासनी तक लेकर पहुंचे। जहां सासनी किला स्थित विलेश्वर धाम मंदिर में गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया। जिस समय सड़क पर ये तीनों श्रवण कुमार सपत्नी अपने मां-बाप को कंधे पर उठाकर ले जा रहे थे तो हर कोई इन्हे देखकर हैरान था। भारी संख्या में लोग सड़क पर जमा होकर इनका गुणगान करते हुए उनके कर्तव्य को सराह रहा था। सासनी पहुंचे तो स्वयं कोतवाली प्रभारी निरीक्षक केशव दत्त शर्मा ने मयफोर्स के सासनी में प्रवेश करते ही श्रवणकुमारों का जोशीला स्वागत किया और काफी दूर तक पैदल चलकर श्रवणकुमारों को सह्दय धन्यवाद दिया