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शूटरों ने बर्नर फोन का इस्तेमाल तो नहीं किया, क्या होता है बर्नर फोन
इलाहाबाद न्यूज़: अतीक अहमद और अशरफ पर गोलियां बरसाने वाले शूटरों का बेखौफ अंदाज देखकर हर कोई हैरान है. एक माफिया को पलभर में जमीन पर ढेर करने वाले इन शूटरों के पास विदेशी असलहे कहां से आए. उनके पास उस वक्त मोबाइल क्यों नहीं मिला. इन सवालों की जांच करने वाली एसआईटी की नींद उड़ी है. अब सवाल उठने लगा है कि कहीं इन शूटरों ने बर्नर फोन का इस्तेमाल तो नहीं किया था.
यह सवाल यूं ही नहीं उठा है. घटना के बाद जब इन्हें पकड़ा गया तो इनके पास मोबाइल नहीं था. इतने सनसनीखेज वारदात को अंदाम देने वालों के पास मोबाइल न मिलना समझ से परे था. हत्यारोपी सनी सिंह, अरुण मौर्य और लवलेश तिवारी को रिमांड पर लेकर एसआईटी पूछताछ कर रही है. पूछताछ के तीसरे दिन एसआईटी ने तीनों आरोपितों की निशानदेही पर उस होटल से दो मोबाइल फोन बरामद किए, जहां दोनों शूटर ठहरे हुए थे. लेकिन इन मोबाइल में सिम कार्ड नहीं लगा था. एसआईटी इनके मोबाइल नंबर का पता लगाकर कॉल डिटेल खंगाल रही है. बर्नर फोन इस्तेमाल करने की आशंका इसी के बाद उत्पन्न हुई. इस बात की आशंका है कि हत्यारोपित बरामद मोबाइल का इस्तेमाल आपस में बात करने के लिए कर रहे थे. अपने आका (मास्टरमाइंड) से संपर्क करने के लिए इनके द्वारा बर्नर फोन का इस्तेमाल किया जा रहा था.
वारदात को अंजाम देने से पहले ही बर्नर फोन को नष्ट कर दिया गया ताकि कोई सबूत न मिले. हालांकि एसआईटी की जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि शूटरों ने बर्नर फोन का इस्तेमाल किया था या नहीं. अभी तक शूटरों ने अपने किसी आका के बारे में जानकारी नहीं दी है. पूछने पर वे यही जवाब दे रहे हैं कि उनका कोई आका नहीं है.
क्या होता है बर्नर फोन
जरायम की दुनिया में बर्नर फोन का तेजी से इस्तेमाल हो रहा है. जानकार बताते हैं कि यह एक विशेष फोन है. इस फोन और सिम का इस्तेमाल अपनी पहचान छिपाने के लिए किया जाता है. इसे डिस्पोजल फोन भी कहते हैं. इसमें कॉल और मैसेज करने की सुविधा होती है. पुलिस की ट्रैकिंग से बचने के लिए इसमें इस तरह के फीचर बनाए गए होते हैं कि लोकेशन न मिले. दूसरा इसमें इंटरनेट की सुविधा नहीं होती है. यह एक मल्टीमीडिया फोन की जगह सामान्य फोन होता है.