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देवघर में महाशिवरात्रि पर शिव बरात समिति और प्रशासन के बीच रूट को लेकर टकराव
नई दिल्ली। वहीं देवघर में प्रशासन और शिव बरात समिति के बीच रूट को लेकर टकराव पैदा हो गया है। देवघर के एसडीओ दीपांकर चौधरी ने धारा 144 लागू कर दी है। कोरोना में दो साल तक कार्यक्रम बंद रहने के कारण इस बार काफी संख्या में लोग बाबा की बरात देखने आएंगे। इसलिए पुराने रूट पर ही शिव बरात निकालने की इजाजत दी गई है। साथ ही बरात में निकलने वाली कोई भी झांकी 12 फिट ऊंचाई से ज्यादा नहीं होगी।
इधर यहां के सांसद निशिकांत दुबे ने रूट को लेकर रांची हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की बात कही है। वे देवघर में ही जमे हुए हैं। हाई कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार को होगी। उन्होंने धारा 144 लगाने को प्रशासन की तानाशाही बताया। शिव बरात समिति भी नए रूट पर शिव बरात ले जाने पर अड़ गई है। और प्रशासन पुराने रूट पर ही ले जाने की इजाजत दी है। इन टकराव के बीच देवघर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। वहीं प्रशासन ने पुलिसकर्मियों को चारो ओर तैनात कर दिया है।
राजद प्रदेश सचिव व सामाजिक कार्यकर्ता संजय भारद्वाज ने ऐसे टकरावपूर्ण माहौल पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि 18 फरवरी को महाशिवरात्रि है। प्रशासन की अतिरिक्त सख्ती से जनता परेशान हो गई है। शिव बरात पूर्ण आस्था का विषय है। ऐसे माहौल में टकराव टालने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मामले में दखल देने की अपील की है।
संजय भारद्वाज बताते हैं कि 1994 से महाशिवरात्रि पर शिव बरात समिति राम नारायण खवाड़े के नेतृत्व में आयोजन करतीआ रही है। दो साल कोरोना की वजह से बाबा की बरात नहीं निकाली गई। मगर मंदिर में धार्मिक परंपरा पूरी की गई। इस बार अध्यक्ष अभिषेक झा हैं। समिति रूट का विस्तार चाहती है। यह जनता के अनुरूप है। और यह धार्मिक मसला है। इसमें जिद की गुंजाइश नहीं है। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री कृष्णानंद झा ने प्रेस कांफ्रेंस कर प्रशासन के रवैए पर सवाल उठाते हुए बाबा की बरात में किसी प्रकार की अड़चन न डालने की अपील की है।
इसी बीच देवघर की शिव बरात समिति ने झांकी के जरिए शिवलोक धरती पर उतारने की तैयारियों को अंतिम रूप दे रही है। इस बार बरात का मुख्य आकर्षण मानव दैत्य और पंचनी चुड़ैल के साथ जी-20 समिट की झांकियां होगी। शिवरात्रि महापर्व मनाने के लिए शुक्रवार को देवघर बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पंचशूल पूजा होगी।
सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा के नेतृत्व में पांच पंडितों ने वैदिक मंत्रों के साथ बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती मंदिर के शिखर पर लगे पंचशूल को उतारकर विधि विधान से हवन व पूजा अर्चना करेंगे। वहीं पंडा बाबा झा बताते हैं कि अधिकांश मंदिरों में त्रिशूल है लेकिन बैद्यनाथ मंदिर में पंचशूल है। जिसके दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
इस सबके बावजूद इस बार यहां के लोगों में काफी उत्साह का माहौल है। दरअसल यहां के उपायुक्त और शिवरात्रि महोत्सव समिति के बीच तालमेल न बैठ पाने की वजह से भी तनाव है। सांसद निशिकांत दुबे और उपायुक्त के बीच कई मुद्दों पर पहले से ही सहमति नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि बाबा बैद्यनाथ को स्वयं रावण ने स्थापित किया था। इसलिए इसे रावणेश्वर महादेव भी कहते हैं। कथाओं के अनुसार शिव तांडव के वक्त भगवान विष्णु के चक्र से कटकर यहां माता पार्वती का हृदय गिरा था। इसलिए इसे कामना लिंग भी कहते हैं। जो देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है। इसलिए लाखों लोगों की आस्था बाबा बैद्यनाथ से जुड़ी है।
देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भयंत्री ने बताया कि प्रशासन ने शिव बरात के पुराने रूट पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। पुराना रूट फब्बारा चौक, श्रीराम जानकी चौक, बाजला चौक, बजरंगी चौक, राय एंड कंपनी चौक, टावर चौक, आजाद चौक, बड़ा बाजार , भैरो बाजार , बुद्धराम साह चौक,एसबी राय रोड, अवंतिका गली, कन्या पाठशाला , फब्बारा चौक, विद्यापति चौक, पानी टंकी , डोमासी, नरसिंह टाकीज, शिक्षा सभा चौक, बैजनाथ लेन होते हुए बाबा मंदिर जाने का है।
यह व्यवस्था बीते 28 सालों से है। सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता है। महाशिवरात्रि पर वीआईपी और आउट ऑफ टर्न दर्शन करने की व्यवस्था बंद रहेगी। बाबा मंदिर अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं के दर्शन और जलाभिषेक के लिए खोल दिया जाएगा।