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उत्तर प्रदेश
शेखर जोशी की कहानी दबे पांव के साथ सधे पांव भी चलती है रविभूषण
Harrison
13 Sep 2023 12:47 PM GMT
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उत्तरप्रदेश | ‘मैं मुस्कराता हुआ पवेलियन लौट जाऊंगा. अपने अग्रज खिलाड़ियों के साथ बैठूंगा, जिन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया है, जिनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है...’ कथाकार शेखर जोशी की इन्हीं काव्य पंक्तियों को स्मरण करते हुए विज्ञान परिषद में आयोजित दो दिवसीय शेखर जोशी स्मृति आयोजन का समापन हुआ.
प्रथम सत्र इसका शुभारंभ शेखर जोशी के रचना संसार पर केंद्रित ‘सादे पृष्ठों का इतिहास’ विषय पर साहित्यकारों ने विचार व्यक्त किए. इस अवसर पर मुख्य वक्ता आलोचक संजीव कुमार ने शेखर जोशी की कहानियों के माध्यम से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जोशी की कहानियों को देखने से लगता है कि यह उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है. शेखर जोशी स्वाभिमानी व्यक्तित्व के धनी थे. उनका यह स्वाभिमान उनकी कहानी ‘बोझ’ के पात्रों में चित्रित होता है. उन्होंने जोशी की कहानी ‘बदबू’ के कथानक के माध्यम से उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला. अध्यक्षीय संबोधन में आलोचक रवि भूषण ने कहा कि शेखर जोशी की कहानी दबे पांव के साथ-साथ सधे पांव भी चलती हैं.
प्रियदर्शन मालवीय ने कहा कि शेखर जोशी ने कथा साहित्य के माध्यम से मध्यमवर्गीय जीवन की सच्चाई को उजागर किया. लेखिका मीना इरफान ने कहा कि शेखर जोशी की कहानियों में पहाड़ के जीवन का यथार्थ चित्रण मिलता है. आलोचक नलिन रंजन सिंह ने कहा कि पलायन या अपनी जड़ों से कट जाने का दर्द शेखर जोशी के अंदर बराबर रूप से विद्यमान था, जो उनकी कहानी ‘उस्ताद’, ‘बदबू’और ‘हुजुरिया’ में दिखता है. साहित्यकार शकील सिद्दीकी ने कहा कि शेखर जोशी की कहानी में आत्मीयता का भाव केंद्र में रहता है. जीपी मिश्र ने कहा कि शेखर जोशी की प्रेरणा और प्रेम ने उन्हें प्रयागराज आकर रहने के लिए प्रेरित किया. संचालन केके पांडेय ने किया.
दूसरा सत्र शेखर जोशी के बाद का कथा साहित्य ‘अंकित होने दो’ विषय पर साहित्यकारों ने विचार व्यक्त किए. वक्ता कथाकार मनोज पांडे ने समकालीन हिंदी कहानी में विविधता के सवाल पर प्रकाश डाला. लेखिका कविता ने कहा कि नये स्त्रत्त्ी कथाकारों में उन्हें सबसे ज्यादा अलका सरावगी की कहानियां पसंद हैं. कवि विवेक निराला ने कहा कि शेखर जोशी से पहला परिचय उस समय हुआ जब 1962 में लहर पत्रिका में निराला को श्रद्धांजलि स्वरूप कविता लिखी थी. साहित्यकार श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि अभिव्यक्ति की जो प्रमुख प्रवत्ति रही है वह कविता की है. अन्य विधाएं कविता से ही निकली हुई हैं. कथाकार योगेंद्र आहूजा ने कहा कि शेखर जोशी का लेखन अंतिम दिनों में कुछ मंद जरूर हुआ था लेकिन कभी रुका नहीं. अध्यक्षीय संबोधन में कथाकार शिवमूर्ति ने कहा कि शेखर जोशी, अमरकांत, रेणु, कमलेश्वर और मोहन राकेश ने पुराने रचनाकारों की बनाई जमीन को अपने लेखन से तोड़ा था.
दूसरे सत्र का संचालन प्रेमशंकर ने किया. आभार ज्ञापन डॉ. प्रणय कृष्ण ने किया. इस अवसर पर लगी पुस्तक प्रदर्शनी में बड़ी संख्या में लोगों ने पुस्तकें खरीदीं. इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी, प्रो. राजेन्द्र कुमार, हरीश चन्द्र पांडे, आंनद मालवीय, अजामिल, मीना राय, रूपम मिश्र, बसंत त्रिपाठी, अनीता त्रिपाठी, गायत्री ,अंशुमान, लक्ष्मण प्रसाद गुप्त,अमरजीत राम, प्रकर्ष मालवीय, अजय प्रकाश, अविनाश मिश्र,राकेश बिहारी, सीमा आज़ाद, सोनी आजाद मौजूद रहीं.
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