उत्तर प्रदेश

Shahjahanpur: कागजों में ही बांट दिए गए 4390 चश्मे

Admindelhi1
3 March 2025 9:10 AM GMT
Shahjahanpur: कागजों में ही बांट दिए गए 4390 चश्मे
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"स्वास्थ्य विभाग में 21 लाख का घोटाला"

शाहजहांपुर: स्वास्थ्य विभाग में लगातार हो रहे घोटालों की जांच के दौरान एक और बड़ा मामला सामने आया है। पता चला है कि लगभग 21 लाख रुपये के 4390 चश्मे केवल कागजों में ही बांट दिए गए। इसके अलावा कोविड काल में खरीदा गया लाखों का सामान डंप कर बर्बाद कर दिया गया और कई प्रसव केंद्र सिर्फ कागजों में ही संचालित होते रहे। यह सीधे तौर पर सरकारी धन की हेराफेरी है, जो असल में जनता का पैसा है।

तीन अलग-अलग समय में हुआ घोटाला

जांच में सामने आया है कि ये घोटाले तीन अलग-अलग समय में किए गए।

1. कोविड काल में खरीदा गया सामान डंप कर दिया गया, जिससे वह अब सड़-गल गया। इसके लिए तत्कालीन सीएमओ, एसीएमओ और स्टोर इंचार्ज सहित कुछ अन्य अधिकारी जिम्मेदार माने जा रहे हैं।

2. स्कूली बच्चों और बुजुर्गों को दिए जाने वाले 4390 चश्मे सिर्फ कागजों में ही बांट दिए गए। इसमें तत्कालीन सीएमओ, एसीएमओ, सीएचसी-पीएचसी प्रभारी और नेत्र परीक्षण अधिकारी दोषी हैं।

3. प्रसव केंद्र और कोविड बचाव केंद्र सिर्फ कागजों में ही संचालित होते रहे, जिनकी फंडिंग का गबन किया गया। इसके लिए जिले से लेकर एमओआईसी तक जिम्मेदार माने जा रहे हैं।

जांच में 10 से अधिक अधिकारी दोषी

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, इन घोटालों में विभाग के कम से कम 10 अधिकारी शामिल हो सकते हैं। यदि जांच के बाद एफआईआर दर्ज कराई गई तो कई अधिकारी गिरफ्तार होकर सलाखों के पीछे पहुंच सकते हैं।

डीएम के निर्देश पर जांच जारी

डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह के निर्देश पर सीडीओ डॉ. अपराजिता सिंह स्वास्थ्य विभाग में हो रहे घोटालों की गहन जांच कर रही हैं। अब तक की जांच में सामने आया कि

नेत्र परीक्षक अधिकारी यह साबित नहीं कर पाए कि चश्मे कब, कहां और किसे बांटे गए।

स्वास्थ्य सेवाओं को सीएचसी, पीएचसी और उपकेंद्रों तक पहुंचाने के बजट का फर्जी बिलिंग कर गबन किया गया।

स्टोर इंचार्ज की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है, जिसकी जल्द ही जांच रिपोर्ट सामने आएगी।

सीडीओ को गुमराह करने की कोशिश, ताला तुड़वाया तो खुला बड़ा राज

सीडीओ के निरीक्षण के दौरान उन्हें कई बार गुमराह करने की कोशिश की गई। जब उन्होंने धरातल पर जाकर सच्चाई परखनी चाही, तो सामने आया कि

बच्चों और बुजुर्गों को दिए जाने वाले चश्मे सिर्फ कागजों में बांटे गए। ददरौल सीएचसी में कोविड काल में आए बेड खुले आसमान में सड़ने के लिए छोड़ दिए गए।

निरीक्षण के दौरान तत्कालीन एमओआईसी ने नई बिल्डिंग दिखाकर सीडीओ को गुमराह करने की कोशिश की।

जब सीडीओ ने सीएचसी के पुराने जर्जर भवन का ताला तुड़वाया, तो पता चला कि सैकड़ों की संख्या में कोविड के बेड खुले में पड़े सड़ रहे हैं और वहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है।

जांच पूरी होने के बाद होगी सख्त कार्रवाई

स्वास्थ्य विभाग में हो रही इस गड़बड़ी की जांच अंतिम चरण में है। डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि

"एक सप्ताह में जांच पूरी होगी। दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"

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