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डेढ़ दशक बाद भी चालू नहीं हो सकी सीवर लाइन, गलियों में झूलते रहते हैं तार
मेरठ न्यूज़: जाकिर हुसैन कालोनी उत्तरी के नाम से बनाए गए वार्ड-86 में डेढ़ दशक बीत जाने के बावजूद सीवर लाइन अभी तक चालू न हो पाने के कारण इस क्षेत्र में जलनिकासी बड़ी समस्या बनी हुई है। इसके अलावा कई इलाकों में बिना खंभों के दिए गए कनेक्शनों को संचालित करने वाले केबिल गलियों में झूलते रहते हैं। जिसके कारण हादसे की आशंका बनी रहती है। जाहिर कालोनी मकान नंबर एक से 1166 और ढिबाईनगर को मिलाकर बनाए गए इस वार्ड में मतदाताओं की संख्या 16 हजार 500 से अधिक बताई गई है। इस वार्ड की अनेक गलियां ऐसी हैं, जिनमें बिजली के तारों को विभिन्न गलियों में झूलते हुए देखा जा सकता है। जिनसे हादसे की आशंका बनी रहती है। हालांकि पार्षद इकराम बालियान का कहना है कि बी ब्लाक में 52 खंभों का इस्टीमेट बनवाकर भेजा हुआ है।
दरअसल, इस वार्ड में तीन बिजलीघरों से बिजली आपूर्ति की जाती है। पेयजल के लिए भी इस वार्ड में अभी तक गंगाजल परियोजना की कनेक्टिविटी नहीं की जा सकती है। इस वार्ड में 10 एचपी के नलकूपों के जरिये सीधे सप्लाई की जाती है। लोगों का कहना है कि पेयजल आपूर्ति के लिए बिछाई गई पाइप लाइन जहां से एक बार फट गई, उसकी मरम्मत तक कराने के लिए नगर निगम की टीम कोई ध्यान नहीं देती है। जिसके कारण गलियों में जहां फटे पाइप से पानी उबलता रहता है, वहीं इस पानी में मिलकर गंदगी दूसरे घरों में पहुंच जाती है। इसी कारण संक्रामक रोग फैलने की आशंका बनी रहती है। राजुद्दीन गादरे, नवेद आलम, दिलशाद, साजिद, नौशाद आदि से वार्ड को लेकर चर्चा की गई। जिसमें यह बात प्रमुखता से सामने आई कि यहां सीवर लाइन बिछे हुए डेढ़ दशक का समय गुजर चुका है,
लेकिन इस लाइन को कनेक्ट करके जलनिकासी की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी है। जिसके कारण समूचे वार्ड की जलनिकासी प्रभावित रहती है। फिलहाल नालियों के जरिये ही जलनिकासी का प्रयास किया जाता है। हालांकि हापुड़ रोड से जाकिर कालोनी को जाने वाले रास्ते पर बड़े नाले का निर्माण हो जाने के कारण इस स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन जब तक सीवर लाइन चालू नहीं हो जाती, तब तक यह समस्या बनी रहेगी, क्योंकि कूड़े करकट के कारण नालियां आए दिन चोक रहती हैं, जिनकी नियमित सफाई नहीं हो पाती है। वार्ड के लोगों का कहना है कि कुछ रास्ते जरूर बनाए गए हैं, लेकिन अभी तक पूरी तरह रास्तों की हालत भी बहुत बेहतर नहीं है। नल वाला रास्ता और मदीना मस्जिद वाले रास्ते की हालत इतनी दयनीय है यहां वाहन अक्सर पलटकर लोग चोटिल हो जाते हैं।
इसका कारण कहीं न कहीं सीवर लाइन के लिए की गई खुदाई के बाद रास्तों की ठीक से मरम्मत न होना है। लोगों का यह भी कहना है कि मदीना मस्जिद रोड पर भले ही काम हुए हों, लेकिन नल वाली गली को विकास कार्यों से वंचित रखा गया है। अधिकांश की शिकायत यही है कि वार्ड-86 में निर्माण कार्य लोगों की अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो पाए हैं।
शिक्षण संस्थान का संचालन कर रहे नवेद आलम का कहना है कि वार्ड में साफ सफाई की स्थिति बदहाल है। नगर निगम की ओर से हालांकि डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन यह सुचारू रूप से नहीं हो पाती। लोगों का कहना है कभी-कभी तो कई कई दिन तक कूड़ा नहीं उठ पाता है।
जब तक कूड़ा सड़कर उसमें संक्रमण फैलाने वाले रोगाणु उत्पन्न न हो जाए, तब तक नगर निगम की टीम इस ओर ध्यान नहीं दे पाती। वार्ड के लोगों का कहना है कि यहां सफाई सबसे अहम मुद्दा है। उनका कहना है कि वार्ड में कहने को 28 सफाई कर्मचारी तैनात हैं, लेकिन उनमें से गिने-चुने लोग ही काम पर आते हुए दिखाई देते हैं।
पार्षद का कथन: वार्ड-86 के पार्षद इकराम बालियान नगर निगम कार्य समिति के उपाध्यक्ष भी हैं। उनका कहना है कि तीन दशक से नाला निर्माण न होने के कारण पूरे क्षेत्र में पानी जमा रहता था। उन्होंने मुख्य नाले का निर्माण कराते हुए इस समस्या का समाधान कराया है। वार्ड में विद्युतीकरण नहीं था, नए खंभे और तार लगवाकर लोगों को राहत दिलाई है। इन सबसे बढ़कर वार्ड के जिम्मेदार लोगों के सहयोग से आपसी विवादों को मिल जुलकर हल कराने का अभियान चलाया, जिसमें सफलता मिली है। पहले जरा-जरा सी बातों को लेकर थाना-कचहरी होती थी, अब ऐसा नहीं है। सीवर लाइन की स्थिति विकट है, जिसे जल निगम दूर नहीं कर पाया है। इस बारे में आयुक्त को एक शिकायती पत्र देकर समाधान की मांग की गई है।
पेयजल के लिए एक ओवरहैड टैंक का प्रस्ताव पारित हो गया है। अमृत योजना के अंतर्गत इस टंकी का निर्माण जीजीआईसी परिसर में होने के बाद कई वार्ड के लोगों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा वार्ड में 70 प्रतिशत काम हो चुके हैं, शेष 30 प्रतिशत काम भी स्वीकृत हो चुके हैं।