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नोएडा: प्रदेश की पहली सेमीकंडक्टर उत्पादन की इकाई यमुना प्राधिकरण में लगने की दिशा में कदम बढ़ गए हैं. प्रदेश सरकार के बाद अब हीरानंदानी ग्रुप ने केंद्र सरकार के पास भी अपना आवेदन भेजा है. इसके लिए 100 एकड़ जमीन मांगी गई है. इसमें 91 एकड़ में सेमी कंडक्टर और 9 एकड़ में अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी. इस उद्योग के लिए पानी और बिजली की जरूरत के बारे में भी बताया गया है.
भारत अभी सेमीकंडक्टर के मामले दूसरे देशों पर निर्भर है. इसमें आत्मनिर्भरता लाने के लिए केंद्र सरकार ने कवायद शुरू की है. देश की पहली सेमीकंडक्टर उत्पादन की इकाई गुजरात में लगने की उम्मीद है. उत्तर प्रदेश में भी सेमीकंडक्टर का उत्पादन होगा. हीरानंदानी ग्रुप के सीईओ दर्शन हीरानंदानी ने यमुना प्राधिकरण से अपनी योजना साझा की थी. इसके लिए 100 एकड़ जमीन मांगी है.
पहले चरण में 2500 करोड़ रुपये का निवेश करने की तैयारी है. वह किसी विदेशी कंपनी के साथ यहां निवेश करेंगे. दो साल में उत्पादन शुरू करने की योजना है. यमुना प्राधिकरण ने सेक्टर-28 में जमीन देने की तैयारी की है.
क्या होते हैं सेमीकंडक्टर
वाहन, कंप्यूटर, सेलफोन, गैजेट्स, माइक्रोवेव आदि सभी इलेक्ट्रानिक्स आइटम में सेमीकंडक्टर की अहम भूमिका होती है. इसके जरिये इन उत्पादों को नियंत्रित किया जाता है. साथ ही मेमोरी फंक्शन भी आपरेट होता है. बिना इनके इन उत्पादों की कल्पना बेकार है. अब सेमीकंडक्टर की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है. विश्व में ताइवान सेमीकंडक्टर उत्पादन में अग्रणी है. यहां विश्व का 62 प्रतिशत सेमी कंडक्टर बनता है. इसके अलावा दक्षिण कोरिया, अमेरिका, जापान और चीन में सेमीकंडक्टर बनते हैं.
हीरानंदानी ग्रुप ने सेमीकंडक्टर की इकाई के लिए केंद्र सरकार में भी आवेदन किया है. इसके लिए सेक्टर-28 में जमीन आरक्षित की गई है. -डॉ. अरुणवीर सिंह, सीईओ यमुना प्राधिकरण
केंद्र देगी सब्सिडी
केंद्र सरकार ने सेमीकंडक्टर के लिए योजना बनाई है. प्रदेश सरकार ने भी इसके लिए नीति बना ली है. केंद्र सरकार इस इंडस्ट्री के लिए सब्सिडी और कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनाने के लिए मदद करता है. यही कारण है कि केंद्र में भी आवेदन किया है. केंद्र सरकार की सूची में 220 उद्योग आते हैं, जिन्हें वह प्रमोट करती है.
बिजली-पानी की जरूरत
हीरानंदानी ग्रुप ने केंद्र सरकार को भी अपना आवेदन भेजा है. कंपनी ने अपनी जरूरतों के बारे में प्राधिकरण को बताया है. इसके लिए उन्हें पानी की जरूरत पड़ेगी. पहले चरण में प्रति घंटे दो लाख लीटर और तीसरे चरण में 7.5 लाख लीटर पानी की जरूरत होगी. साथ ही 50 मेगावाट की बिजली की जरूरत पड़ेगी. प्राधिकरण इसके लिए तैयार है.