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- खून-खराबा देखकर आरती...
आगरा के कागारौल के गांव गढ़ी कालिया में मंगलवार की सुबह बंटवारे की पंचायत में खूनखराबा हो गया। संपत्ति के बंटवारे को लेकर भाइयों और पिता में विवाद इतना बढ़ा कि तीन भाइयों ने पिता और दो भाइयों को कुल्हाड़ी और तलवार से काट डाला।
दो भाइयों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि पिता की एसएन मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई। खूनी खेल के दौरान घर में मौजूद एक महिला ने कमरे में छिपकर जान बचाई। घटना की जानकारी पर पुलिस आयुक्त सहित कई थानों की फोर्स पहुंच गई। सभी आरोपी फरार हैं।
सांसद राजकुमार चाहर के पैतृक गांव गढ़ी कालिया में खूनखराबा यूं ही नहीं हुआ। पुलिस का कहना है कि तीनों भाइयों ने हत्याकांड की साजिश पहले से ही रच रखी थी। वारदात के वक्त घर में केवल एक महिला मौजूद थी, अन्य परिजन नहीं थे।
तिहरे हत्याकांड की घटना से गांव वाले सकते में हैं। राजेंद्र सिंह का घर गांव में मुख्य आबादी से कुछ दूरी पर है। यही कारण है कि घटना की जानकारी गांववालों को पुलिस के पहुंचने पर हो सकी। गांव में चर्चा है कि हत्यारोपी भाइयों ने पहले ही बोल दिया था कि बंटवारा बराबर नहीं हुआ तो फैसला मौके पर ही होगा।
सत्यप्रकाश उर्फ करुआ अविवाहित है। वह सबसे ज्यादा विरोध कर रहा था। छानबीन में जुटी पुलिस को पता चला है कि करुआ, भानुप्रताप और हरवीर ने पिता से साफ बोल दिया कि जमीन तो बराबर-बराबर बांटनी पड़ेगी। जबकि पिता राजेंद्र का कहना था कि हम मथुरा में रहते हैं। हमारी देखभाल करने वाले दोनों बेटों के लिए ढाई बीघा जमीन रखी है। लेकिन तीनों भाइयों को यह बात खल रही थी। उनका कहना था कि ढाई बीघा जमीन का भी बंटवारा किया जाएगा।
खून सवार देख कमरे में हो गई थी बंद
पंचायत के समय दो कमरों के मकान राजेंद्र सिंह चाहर और उनके पांच बेटों के अलावा केवल भानु की पत्नी आरती थी। उसने घर में खूनखराबा होते देखा तो उसके होश उड़ गए। पति और उनके भाइयों पर खून सवार देख वह दहशत में कमरे में जाकर छिप गई। अंदर से दरवाजा भी बंद कर लिया। बाहर से ससुर, जेठ और देवर की चीखने की आवाजें आ रही थीं। वह अंदर कमरे में कांप रही थी। हत्याकांड के बाद उसने हिम्मत जुटाकर 112 नंबर पर सूचना दी।
सूचना पर पुलिस पहुंची तो एक कमरे में पिता और दोनों पुत्र लहूलुहान पड़े थे। घर में और कोई नजर नहीं आ रहा था। पुलिस ने आवाज लगाया कोई है घर में। पुलिस वालों की आवाज सुनकर आरती ने डरते हुए दरवाजा खोला। उसी से पूछताछ में पुलिस को मरने वालों के नाम पता चले। पुलिस ने गांव की महिलाओं को बुलाकर आरती को उनके सुपुर्द किया। कहा कि इसे अपने साथ रखें। पानी पिलाएं। बहुत घबराई हुई है।
जहां बचपन में साथ खेले, वहीं खेली खून की होली
हत्याकांड के बाद गांव में सन्नाटा पसरा है। गांवों में चर्चा थी कि पांचों भाइयों का बचपन यहां घर और खेतों में खेलते-कूदते बीता था। राजेंद्र सिंह ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिन बेटों में आपस में कभी इतना प्रेम था, वह एक दूसरे की जान के दुश्मन बन जाएंगे। जिस घर में पिता ने बचपन के झगड़े निपटाए थे उसी घर में तीन बेटों ने पिता को मार डाला।
तिहरे हत्याकांड के बाद गांव में हर कोई यही बोल रहा था कि अब क्या करेंगे इस जमीन का। ढाई बीघा जमीन पांच भाइयों के बीच बांटी भी जाती तो एक के हिस्से में आधा बीघा जमीन आती। महज आधा-आधा बीघा जमीन के लालच में तीन भाइयों ने दो सगे भाइयों और पिता को मार डाला।