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सुरक्षा विभाग की टीम ने पकड़ा नकली मावा,लैब में जांच को भेजा
बागपत। त्योहारी सीजन में सक्रिय मिलावटखोरों पर शिकंजा कसते हुए खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने छापामारी कर 11 कुंतल सिंथेटिक मावा पकड़कर नष्ट कराया। इसके पांच नमूने लिए गए है, जिनकी लैब में जांच कराई जाएगी। दीपावली के आसपास नकली मावे का कारोबार कई गुना बढ़ जाता है। सुबह बड़ौत शहर की औद्योगिक पुलिस चौकी पर चेकिंग के दौरान खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने एक मावे से भरे कैंटर को रुकवाया गया। प्रारंभिक जांच में पाया गया कैंटर में लदा 11 कुंतल मावा नकली है, जिसे मांगरौली गांव से दिल्ली ले जाया जा रहा था। खाद्य सुरक्षा निरीक्षक महीपाल सिंह की सूचना पर एसडीएम सुभाष सिंह मौके पर पहुंचे और सैंपलिंग संबंधी कार्रवाई को पूर्ण कराया।
इसके बाद नकली मावों को बुलडोजर में भरकर खाली मैदान में गड्ढ़ा खुदवाकर दबवाया गया। खाद्य सुरक्षा निरीक्षक ने बताया कि मावे के पांच नमूने लिए गए हैं, जिन्हें जांच के लिए लैंब भिजवा जा रहा है। लैब रिपोर्ट आने के बाद आरोपियों कैंटर चालक और संबंधित लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
त्योहारी सीजन शुरू होते ही जिले के गांव-गांव में नकली मावा बनाने की भट्टियां धधकनी शुरू हो गई है। यहां न सिर्फ नकली मावा तैयार किया जा रहा बल्कि नकली सफेद रसगुल्ले, नकली दूध, नकली घी, नकली पनीर भी बनाया जा रहा है। हर साल त्योहारी सीजन में इन भट्टी संचालकों के यहां छापेमारी की जाती है मगर प्रभावी कार्रवाई के अभाव में मिलावट का कारोबार धड़ल्ले से संचालित हो रहा है।
वरिष्ठ फिजीशियन डा. अनिल जैन ने बताया कि मिलावटी खाद्य पदार्थ तकरीबन शरीर के प्रत्येक अंग को प्रभावित करते हैं। सिंथेटिक दूध से मावा या कोई मिठाई तैयार की जाती है तो इससे सबसे बड़ी दिक्कत पेट की बीमारी और हृदय के साथ-साथ आंखों को होती है। आंखों की रोशनी जाने का भी डर रहता है और ब्लड से संबंधित कई बीमारियां हो सकती हैं। क्योंकि इसके बनाने में खतरनाक रसायन का प्रयोग किया जाता है। इससे खासकर त्योहार पर बाहरी सामान खाने से पहले उसकी गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए और सावधानी बरतनी चाहिए।